दसऊ मंदिर में विराजमान छत्रधारी चालदा महासू देवता की डोली हिमाचल के पश्मी में प्रवास पर जाने के लिए सोमवार दोपहर बाहर लाई गई। इस दौरान देव दर्शन के लिए लोगों का तांता लगा रहा। देवता की विदाई देखकर परिसर में मौजूद श्रद्धालुओं की आंखें नम हो गईं। दो साल आठ महीने से दसऊ मंदिर में विराजमान चालदा महासू देवता का प्रवासकाल पूरा हो गया है। हिमाचल प्रदेश के पश्मी स्थित मंदिर में शुरू होने वाले अगले प्रवास के लिए देव डोली को मंदिर के गर्भ गृह से बाहर लाया गया। इस दौरान भक्ति और आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिला। पूरा वातावरण देवता के जयकारों से गूंज उठा। परिसर में मौजूद महिला, पुरुष, जवान व बच्चे देवता की विदाई के इस पल को देखकर भाव-विभोर हो गए। देवता को अपने गांव, खत व क्षेत्र से जाते हुए देखकर सभी लोगों की आंखों में आंसू छलक आए। हिमाचल से देवता की अगुवाई करने पहुंचे 600 लोग पश्मी में पहली बार देवता के जाने की खुशी में हर्षित दिखाई दिए। स्थानीय लोगों ने बताया कि चालदा महाराज का अगला पड़ाव दसऊ में कब होगा यह निश्चित नहीं है इसलिए हर कोई देवता की विदाई से मायूस है।
श्रद्धालुओं ने किए देव पालकी के दर्शन, की प्रार्थना
सोमवार सुबह से ही देव दर्शन के लिए मंदिर परिसर में भीड़ जमा हो गई थी। मंदिर के गर्भ गृह से जैसे ही देव डोली, छत्र को बाहर निकाला गया श्रद्धालुओं ने दर्शन करके सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थनाएं कीं। परंपरा के हिसाब से खत स्याणा शूरवीर सिंह चौहान के घर पर जाकर देव पालकी ने आगे जाने की अनुमति मांगी। धूप देकर महिलाओं ने देवता को विदाई दी। करीब तीन बजे देवता एक रात बागड़ी के रूप में ठहरने वाले स्थान पर पहुंचे। जहां करीब चार बजे देवता की पूजा की गई। इस दौरान बड़ी संख्या में देवता श्रद्धालुओं पर अवतरित हुए।







