पुलिस थानों को इंटर ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) प्रणाली से लैस किया जाएगा। भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद प्रदेश में जनवरी 2026 से 2.0 वर्जन लांच होने जा रहा है। इसके तहत एफआईआर दर्ज करने से लेकर मेडिकल रिपोर्ट, इंज्यूरी, पोस्टमार्टम, वीडियो साक्ष्य, गवाहों और पीड़ितों के बयान, वारंट जारी करने, अदालत की कार्रवाई और सुनवाई तक की प्रक्रिया अब ऑनलाइन और रियल टाइम में की जाएगी। प्रदेश में अभी तक 1.0 वर्जन चल रहा है। जिसमें किसी अपराधिक वारदात होने के बाद एफआईआर दर्ज करने से लेकर अदालत तक की प्रक्रियाएं मैनुअल चल रही हैं। जिसमें समय और मैनपावर की दिक्कतें सामने आती हैं। आईसीजेएस सिस्टम लागू होने से पुलिस, डॉक्टर, न्यायाधीश और आमजन सभी को राहत मिलेगी। अपराधियों के परिजन भी केस की स्थिति की जानकारी पब्लिक लॉगिन से ले सकेंगे। इसके साथ ही न्यायिक प्रक्रिया में गड़बड़ी की संभावना कम होगी, क्योंकि हर चरण डिजिटल और ट्रेसेबल होगा। जबकि ई-साक्ष्य और डिजिटल रिकॉर्ड के चलते सबूतों के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं होगी। सभी डाटा को एनक्रिप्टेड और सुरक्षित प्लेटफॉर्म पर संग्रहित किया जाएगा, जिससे भविष्य में किसी भी विवाद की स्थिति में रियल टाइम साक्ष्य को पेश किया जा सकेगा।
गवाहों और पीड़ितों के बयान भी डिजिटल होंगे
आईसीजेएस सिस्टम पर गवाहों और पीड़ितों के बयान भी डिजिटल हो जाएंगे। ऐप के माध्यम से रिकॉर्ड बयान तुरंत सिस्टम पर अपलोड किए जाएंगे। इससे न्यायालय में सुनवाई के दौरान किसी भी प्रकार की बयानबाजी में बदलाव की संभावना खत्म हो जाएगी और सबूत सुरक्षित रहेंगे।
क्या है आईसीजेएस सिस्टम जिसे जज भी देख सकते हैं
आईसीजेएस सिस्टम डिजिटल प्रणाली है जो पुलिस, न्यायालय, फॉरेंसिक, जेल और अभियोजन प्रणाली को एक सूत्र में जोड़ेगी। इसका मुख्य उद्देश्य आपराधिक मामलों में त्वरित न्याय सुनिश्चित करना है। इस प्रणाली के लागू होते ही पुलिस, न्यायालय, डॉक्टर, फॉरेंसिक विशेषज्ञ और आम नागरिकों के लिए भी न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और सुगमता आएगी। आईसीजेएस के तहत हर विभाग की अपनी लॉगिन आइडी होगी। जिसमें बैठे-बैठे अपराधिक घटना की जानकारी एकत्र की जाएगी। किसी भी रिपोर्ट की मौजूदा स्थिति को जज न्यायालय में बैठकर देख सकते हैं।भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद पुलिसिंग को अपडेट किया जा रहा है। प्रदेश में आईसीजेएस सिस्टम 2.0 लागू होने जा रहा है। जिससे कार्रवाई और सुनवाई तक की प्रक्रिया ऑनलाइन और रियल टाइम में की जाएगी। – डा. नीलेश आनंद भरणे, निदेशक, फोरेंसिक साइंस लैब।







