रुद्रपुर। सिद्धि विनायक इंटरप्राइजेज कंपनी के प्रबंधक पर फर्जी जीएसटी बिल और कूटरचित दस्तावेज बनाकर बैंक से 75 लाख रुपये ऋण लेने का आरोप लगा है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश पर पुलिस ने कंपनी के प्रबंधक, उनके बहन-बहनोई समेत चार लोगों पर धोखाधड़ी की धारा में प्राथमिकी दर्ज की है। भदईपुरा स्थित केनरा बैंक के शाखा प्रबंधक सत्येंद्र प्रताप सिंह ने न्यायालय को बताया कि ग्राम चुटकी किशनपुर किच्छा निवासी रविंद्र सिंह नेगी ने खुद को मैसर्स सिद्धि विनायक इंटरप्राइजेज का प्रोपराइटर बताया। अपने व्यवसायिक कार्य को बढ़ाने और कंपनी के लिए सीसी लिमिट और मशीनरी क्रय करने के लिए बैंक से एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) योजना के तहत ऋण के लिए आवेदन किया। एक बैंक खाते से रविंद्र ने 27 जनवरी 2020 को 45 लाख का ऋण स्वीकृत करा लिया। इसके अतिरिक्त मशीनरी खरीदने के 30 लाख का ऋण प्राप्त करने के लिए अलग से आवेदन किया।
30 लाख का ऋण रविंद्र ने तीन फरवरी 2020 में ले लिया। आरोप है कि ऋण लेने के बाद रवि की ओर से पैसे वापस नहीं किए गए। बैंक ने जांच की तो पता चला कि रविंद्र अपनी फर्म मैसर्स सिद्धि विनायक इंटरप्राइजेज के नाम से प्राप्त सीसी लिमिट के संबंध में उक्त धनराशि का स्टॉक उसके पास नहीं है।रविंद्र ने मशीनरी क्रय करने के लिए बैंक से प्राप्त टर्म लोन की धनराशि मशीनरी क्रय करने में व्यय नहीं की है बल्कि बैंक से उक्त दोनों खातों में 75 लाख रुपये अपनी बहन कंचन सिंह, बहनोई शिव कुमार सिंह और बहनोई के भाई पवन कुमार सिंह के साथ मिलकर योजना बनाकर सुनियोजित षड़यंत्र के तहत हड़प ली है।दस्तावेजों की जांच की तो लोन के लिए लगाने दस्तावेज और जीएसटी बिल फर्जी पाए गए। इसकी शिकायत पुलिस से की लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उसे न्यायालय की शरण लेनी पड़ी। सीओ प्रशांत कुमार ने बताया कि न्यायालय के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दी है।







