विकासखंड के ग्योंथा गांव के सूने पड़े मकान और शहर की ओर पलायन करते युवा उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों की एक कड़वी हकीकत बयां करते हैं। ऐसे कठिन समय में, गांव की पूनम देवी ने पशुपालन को अपनाकर अपनी जड़ों को सींचने का काम कर रही हैं। पूनम देवी का संघर्ष और स्वरोजगार आज पलायन को मात देने वाली एक प्रेरणादायी कहानी बन चुका है। विकासखंड का ग्योंथा गांव पलायन की मार झेल चुका है। नीलकंठ मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित ग्योंथा गांव में कभी 35 परिवार निवासरत थे। वर्तमान समय में मात्र सात परिवार निवासरत हैं। युवा इंटरमीडिएट पास कर रोजगार के किए शहरों की तरफ जा रहे हैं। ऐसे में गांव लगातार खाली हो रहे हैं।उनके विवाह के 30 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। वह घर में पीढ़ी दर पीढ़ी पशुपालन का काम कर रहीं हैं। वर्तमान समय में उनके पास अच्छी नस्ल की दो दोगली गाय और एक भैंस है। भैंस और गाय पालन कर तीन लीटर सुबह और 2 लीटर दूध शाम को बेचतीं हैं।
यह दूध गांव के समीप नीलकंठ मोटर मार्ग पर पीपलकोटी स्थित दुकानों में बेचती हैं। स्थानीय दुकानों में दूध की बेहद ज्यादा मांग है। यहां ऋषिकेश से पैकेट बंद दर्जनों लीटर दूध प्रतिदिन पहुंचता है। जंगल में जाकर चारा पत्ती लाना भी चुनौतीपूर्ण काम है।बाजार में दूध बेचकर वह 8 से 10 हजार रुपये प्रतिमाह कमा रही हैं। पूनम देवी का कहना है कि उन्हें पशुपालन और कृषि विभाग की योजनाओं की कोई जानकारी नहीं मिलती। विभाग से किसी योजना का लाभ मिलता तो वह पशुपालन के काम को और बृहद स्तर पर करती।
पशुपालकों के लिए है कई सरकारी योजनाएं
सामान्य जाति के पशुपालकों के लिए मुख्यमंत्री राज्य पशुधन मिशन योजना में लोन के 90 प्रतिशत ब्याज का भुगतान पशुपालन विभाग द्वारा किया जा रहा है। इस योजना में 5 गाय अथवा 2 भैंस खरीद के लिए 3.75 लाख के लोन की सुविधा है। जबकि 10 गाय अथवा 5 भैंस हेतु 7.50 लाख के लोन की सुविधा की योजना है।
कोट
मुख्यमंत्री पशुधन योजना के अंतर्गत एक से अधिक गाय के लिए 90 प्रतिशत ब्याज पशु पालन विभाग देता है। सामान्य जाति के पशुपालक भी योजना का लाभ ले सकते हैं। पशु पालक नजदीकी पशु चिकित्सालयों में योजनाओं की जानकारी और लाभ ले सकते हैं। – डॉ. विशाल शर्मा, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी पौड़ी







