हल्द्वानी में तहसील परिसर में सरकारी फाइलें ही नहीं बल्कि राजस्व से संबंधित कई साइटों के लॉगिन का संचालन भी दूसरे हाथों में है। यह सब अफसरों के रहमोकरम पर चल रहा है। तहसील में वर्षों से चल रहे गोरखधंधों के एक के बाद एक उजागर होने से राजस्व विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में आ गई है। एक के बाद एक गड़बड़झाले उजागर होने से अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों तक में हड़कंप मचा हुआ है।पिछले दिनों कमिश्नर दीपक रावत ने तहसील में छापेमारी की तो पता चला कि कानूनगो असरफ अली अपने घर से ही दफ्तर के काम संचालित कर रहे हैं। बाद में आयुक्त ने कानूनगो के घर से कृषि भूमि के उपयोग को आवासीय, व्यावसायिक या औद्योगिक कार्यों बदलने संबंधी एक दो नहीं बल्कि कई फाइलें बरामद की थी। आयुक्त ने तत्काल प्रभाव से कानूनगो को हल्द्वानी तहसील से हटा दिया था।इसके बाद एक व्यक्ति की शिकायत पर कमिश्नर ने तहसील से ही बगैर लाइसेंस के अरायजनवीस का काम करने वाले एक व्यक्ति को पकड़ा था। यह व्यक्ति मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में सीएससी सेंटर भी चला रहा था। इसके सेंटर से कई लोगों के आधार कार्ड व अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद हुए थे।
इसी के बाद तहसील में फर्जी तरीके से स्थाई निवास और जाति प्रमाण पत्र बनाने के मामले का खुलासा हुआ था। आयुक्त के निर्देश के बाद जब इस फर्जीवाड़े की जांच हुई तो एक के बाद एक फर्जी प्रमाण पत्र सामने आते गए। स्थानीय प्रशासन अब तक 80 से अधिक ऐसे फर्जी प्रमाण पत्रों को रद्द कर चुका है।अब डीएम ललित मोहन रयाल के छापे में सरकारी कक्ष में गोपनीय फाइलों के बीच दो बाहरी व्यक्तियों की मौजूदगी ने एक बार फिर से तहसील में धड़ल्ले से चल रहे एक नए गोरखधंधे की पोल खोल दी है। जब से राजस्व संबंधी कार्य व प्रमाण पत्रों से संबंधित कार्य आन लाइन हुए हैं तब से अलग अलग कार्यों के लिए पटवारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार से लेकर एसडीएम तक को अधिकांश आवेदन पत्रों को अपनी रिपोर्ट के साथ आन लाइन अग्रसारित करना होता है। इसके लिए हर स्तर पर अलग अलग लॉगिन आईडी बनी हुई है। इस तरह की लाॉगिन की आईडी पटवारी अथवा संबंधित अधिकारी के पास होनी चाहिए लेकिन यहां तहसील में काम करने वाले कर्मचारी ही पटवारी से लेकर अधिकारी तक की आईडी का संचालन कर आवेदन पत्रों में जांच रिपोर्ट लगाकर उन्हें आगे बढ़ा रहे हैं।
अफसर तो चले गए, काम करने वाले लोग यहीं रह गए
कई ऐसे व्यक्ति हैं जो न तो तहसील के कर्मचारी हैं और न ही यहां उनका अपना कोई काम होता है। इसके बाद भी वह सुबह दस बजे से शाम पांच छह बजे तक तहसील में ही सरकारी फाइलों अथवा दस्तावेजों को इधर ऊधर लाते ले जाते नजर आते हैं। चर्चा है कि राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने कुछ साल पहले राजस्व संबंधी कामकाज में हाथ बंटाने के लिए कुछ युवकों को यहां रखा हुआ था। अधिकारी तो बदलते गए लेकिन यह लोग यहां काम करते रहे। नए आए अधिकारियों ने भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। चर्चा है कि जिन दो कर्मचारियों को सोमवार को डीएम ने सरकारी अभिलेख कक्ष में पकड़ा वह भी पिछले कई साल से यहां इसी तरह अपने कार्यों को अंजाम दे रहे थे।किसी भी सरकारी दफ्तर व उसके अभिलेखों पर बगैर अनुमति और गैरकानूनी रूप से बाहरी व्यक्तियों का दखल पूरी तरह से गलत है। जब इस तरह की लापरवाहियां होंगी और बाहरी व्यक्तियों का दखल रहेगा तो गड़बड़ी होने की संभावनाएं बनी रहती हैं और यह गंभीर मामला बन जाता है। मामले की जांच कराई जा रही है। कार्रवाई होगी। ललित मोहन रयाल जिलाधिकारी नैनीताल।







