परिवहन विभाग के प्रावधान के मुताबिक, किसी भी कंपनी को टैक्सी का संचालन कराने के लिए एग्रीगेटर पॉलिसी के तहत राज्य में पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इसके लिए निर्धारित शुल्क भी जमा करना होता है। बिना एग्रीगेटर लाइसेंस के न तो ऑनलाइन बस का संचालन हो सकता है और न ही टैक्सी-कैब चलाई जा सकती है। राज्य में परिवहन विभाग से लाइसेंस लिए बिना ही ऑनलाइन एप के जरिये यात्रियों की बुकिंग चल रही है। नियमों के अनुसार, टिकट बुकिंग एप या वेबसाइट चला रहीं कंपनियों को राज्य में बस, टैक्सी चलाने के लिए परिवहन विभाग से लाइसेंस बनवाने का प्रावधान है। इसके बाद भी परिवहन विभाग के अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं। इस पॉलिसी को लागू करने का मुख्य मकसद यात्रियों, विशेषकर महिला यात्रियों की सुरक्षा है। बता दें कि ऑनलाइन बुकिंग में कंपनियां बस का नंबर नहीं बताती हैं।
वह सिर्फ यह बताती हैं कि आपकी सीट कंर्फम हो गई है। बस यहां से मिलेगी। जब बस में बैठते हैं तो ही पता चलता है कि बस का नंबर क्या है। हल्द्वानी से प्राइवेट बस कंपनियों के जरिये दिल्ली, आगरा, जयपुर, कानपुर, लखनऊ आदि के लिए प्राइवेट बसें संचालित की जा रही हैं। एक दिन में करीब 20 बसें हल्द्वानी, रामनगर से संचालित होती हैं। पर्यटन सीजन में इनकी संख्या 35 तक पहुंच जाती है। परिवहन विभाग के अधिकारियों को इसकी जानकारी है, फिर भी कभी कार्रवाई नहीं की गई। आरटीओ प्रशासन संदीप सैनी ने बताया कि आनलाइन टिकट बुक करने वाली कंपनियों को प्रदेश का लाइसेंस लेना अनिवार्य है। एग्रीगेटर पॉलिसी के तहत किसी भी कंपनी को परिवहन विभाग में पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इसके बावजूद कई कंपनियों के वाहन शहर की सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं।