अल्मोड़ा। बाल प्रहरी, बाल साहित्य संस्थान और मानिला मंदिर प्रबंधन ट्रस्ट की ओर से गीता भवन में आयोजित बाल साहित्य और बाल संस्कार विषय पर हुई कार्यशाला का समापन हो गया है। वक्ताओं ने कहा कि मोबाइल और इंटरनेट के दौर में पठन-पाठन की संस्कृति का ह्रास हुआ है। इसके लिए सिर्फ बच्चों को दोष देना सही नहीं है। साहित्यकार, शिक्षक, अभिभावक बाल साहित्य नहीं खरीदेंगे तो बच्चे कहां से पढ़ेंगें।
बाल साहित्य संस्थान के सचिव उदय किरौला ने कहा कि बदलते दौर में ऐसा बाल साहित्य लिखने की जरुरत है जो मनोरंजक होने के साथ ही बच्चों को सामाजिक सरोकारों और मानवीय मूल्यों से जोड़ सके। मानिला मंदिर प्रबंधन ट्रस्ट के अध्यक्ष नंदन सिंह मनराल ने सभी का आभार जताया। संचालन नीरज पंत, कृपाल शीला, रेखा लोढ़ा, प्रकाश जोशी, डॉ. खेमकरन सोमन, पवन कुमार, प्रमोद तिवारी ने संयुक्त रूप से किया। वहां डॉ. हरिसुमन बिष्ट, प्रो. मोहन पांडे, प्रो. रूद्र पौड़ियाल, डॉ. चेतना उपाध्याय आदि मौजूद रहे।
22 पुस्तकों का किया विमोचन
अल्मोड़ा। बाल साहित्य में उल्लेखनीय कार्यों के लिए देश के विभिन्न राज्यों के 21 बाल साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। अलग-अलग सत्रों में 22 पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। इस दौरान बच्चों की ओर से तैयार हस्तलिखित पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।