Monday, September 22, 2025
Google search engine
Homeखास खबरसंपन्न पत्नी नहीं कर सकती गुजारा भत्ते का दावा पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का...

संपन्न पत्नी नहीं कर सकती गुजारा भत्ते का दावा पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का अहम आदेश

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम आदेश जारी करते हुए यह स्पष्ट किया कि यदि महिला संपन्न और सुयोग्य है तो वह अपने पति से गुजारा भत्ते के लिए दावा नहीं कर सकती। यह कल्याणकारी व्यवस्था है जो पति से अलग होने के बाद बेबस पत्नी को अभाव की स्थिति से बचाने और उसी के समान जीवनयापन के लिए है। इसे पति का उत्पीड़न करने का माध्यम नहीं बनने देना चाहिए। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने गुजारा भत्ते के लिए दाखिल महिला की याचिका खारिज कर दी। महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए बताया कि दिसंबर 2018 में चंडीगढ़ की फैमिली कोर्ट ने उसके लिए 10 हजार रुपये गुजारा भत्ता तय किया था। इस फैसले के खिलाफ पति ने अपील की तो एडिशनल सेशन जज ने गुजारा भत्ते के आदेश को रद्द कर दिया था। याची महिला ने इस आदेश के खिलाफ अपील दाखिल करते हुए बताया कि भले ही वह योग्य डॉक्टर है, लेकिन बेटे के दिव्यांग होने और उसकी 24 घंटे देखभाल के चलते वह प्रैक्टिस नहीं कर पा रही है। याची ने अपने पति से 2003 में आपसी समझौते के आधार पर तलाक लिया था। उस दौरान गुजारा भत्ते को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ था। बाद में याची ने गुजारा भत्ते के लिए केस दाखिल किया और तब जाकर यह तय किया गया था।

इस आदेश के खिलाफ पति ने अपील की जहां आदेश रद्द हो गया। अपील में उसके पति के हक में फैसला आया। हाईकोर्ट ने एडिशनल सेशन जज के आदेश के खिलाफ पत्नी की अपील पर फैसला सुनाते हुए कहा कि गुजारा भत्ते की व्यवस्था सामाजिक न्याय को आगे बढ़ाने और आश्रित महिलाओं, बच्चों और माता-पिता की रक्षा के लिए है। इस राशि के निर्धारण के समय यह देखना जरूरी है कि क्या पति के पास पर्याप्त संसाधन हैं और क्या इनके उपलब्ध होने पर भी वह पत्नी का भरण-पोषण करने में लापरवाही या इन्कार तो नहीं कर रहा। साथ ही यह भी देखना अनिवार्य है कि पत्नी अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ है। वर्तमान मामले में ऐसा नहीं है कि याची के पास अपने और अपने बच्चों के भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। इसके अलावा याची का पति अपने दिव्यांग बेटे के भरण-पोषण के लिए हर महीने 15,000 रुपये का भुगतान कर रहा है। पत्नी किसी भी वित्तीय कठिनाई में नहीं दिखती। याची तलाक से पहले जिस जीवन स्तर को जी रही थी उसी स्तर के लिए पर्याप्त संसाधन भी मौजूद हैं। ऐसे में यह न्यायालय उसे गुजारा भत्ते का हकदार नहीं मानता है।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine






Most Popular

Recent Comments