Monday, September 22, 2025
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प्रेम-प्रसंग का था मामला साढ़े 12 साल बाद दोहरे हत्याकांड में सात लोग दोषी करार उम्रकैद की सजा

बगुलिया में प्रेम प्रसंग के मामले में 23 नवंबर 2011 में बगुलिया में हुए दोहरे हत्याकांड के मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मंजू सिंह मुंडे ने सात लोगों को हत्या का दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। मामले में दो आरोपियों की मौत हो चुकी है। मामले में दो लोगों को बरी कर दिया गया था। तीन लोगों ने स्वयं को नाबालिग बताया है। इसमें दो का मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। एक ने स्वयं को नाबालिग सिद्ध कर दिया है। इसके चलते उसका मामला बाल न्यायालय में चलेगा।बड़ी बगुलिया निवासी शिव शंकर ने झनकईया थाना पुलिस को तहरीर सौंपकर बताया था कि 23 नवंबर 2011 को हत्यारोपियों ने उनके बेटे राज किशोर और उपेंद्र पुत्र रामरक्षक को अपने घर बुलाया। आरोपियों ने अपनी बेटियों से प्रेम प्रसंग के शक पर दोनों युवकों की हत्या कर दी। 24 नवंबर 2011 को पुलिस ने केस दर्ज कर बड़ी बगुलिया निवासी अमर पुत्र सुलगन, विदेशी पुत्र सुलगन, अजय कुमार पुत्र परदेशी, परदेशी पुत्र सुलगन, दीनानाथ पुत्र सुलगन, सतेंद्र पुत्र रामाज्ञा, रामाज्ञा, रामाधार पुत्र इंद्रासन, करन यादव पु़त्र ध्यान, मोहन पुत्र इंद्रासन व तीन नाबालिग को नामजद किया। मामले में 21 फरवरी 2012 को जब आरोप पत्र दाखिला किया तो तीन और लोग ऊंची बगुलिया निवासी प्रभुनाथ, मुन्ना लाल और सिसैया बंधा निवासी पंचानन को 304, 201 आईपीसी में निरुद्ध किया गया। न्यायालय में विचारण के दौरान एफआईआर में नामित अभियुक्त अजय कुमार, रामाधार, सतेंद्र, विदेशी, दीनादनाथ, अमरनाथ, परदेशी और तीन नाबालिग को सह अभियुक्त बनाया। विचारण के दौरान न्यायालय की ओर से इन अभियुक्तों को 302, 201 आईपीसी का मुजरिम बनाया गया।

नाबालिग आरोपियों का मामला विचाराधीन
न्यायालय की ओर से विचारण के दौरान एक आरोपी के प्रार्थना पत्र और साक्ष्यों के आधार पर नाबालिग घोषित किया गया। जिसका विचारण बाल न्यायालय में चलेगा। इसके अलावा दो अन्य ने स्वयं को नाबालिग सिद्ध करने के लिए उच्च न्यायालय में गुहार लगाई है। उच्च न्यायालय की ओर से उनके निर्णय पर अग्रिम आदेश तक रोक लगाने का आदेश पारित किया गया है। बृहस्पतिवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मंजू सिंह मुंडे ने अजय कुमार, रामाधार, सतेंद्र, विदेशी, परदेशी, दीनानाथ और अमरनाथ को धारा 302 आईपीसी में आजीवन कारावास व 10-10 हजार का जुर्माना व धारा 201 आईपीसी में सात वर्ष का कठोर कारावास व पांच-पांच हजार के जुर्माने से दंडित किया।सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सौरभ ओझा ने 19 गवाह पेश किए। पुलिस की ओर से दाखिल आरोप पत्र के नामित अभियुक्त प्रभुनाथ की दौराने विचाराधीन में मृत्यु हो चुकी है। जबकि पंचानन और पुन्ना लाल को न्यायालय ने 304, 201आईपीसी में निर्दोष घोषित किया गया है। साथ ही नामजद रामाज्ञा की भी मृत्यु हो चुकी है।

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