राजकीय दून मेडिकल कॉलेज, अस्पताल में आग लगने के बाद इंतजामों की पोल खुलकर सामने आ गई है। जिस बिल्डिंग में आग लगी, वहां निकासी का सिर्फ एक रास्ता था। गनीमत रही कि आग पर काबू पा लिया गया, वरना बड़ा हादसा हो सकता था। मंगलवार को प्राचार्य डॉ. गीता जैन ने घटनास्थल समेत अस्पताल के अन्य भवनों का निरीक्षण किया। उन्होंने पुरानी बिल्डिंग में प्राथमिकता के आधार पर अन्य निकासी द्वार बनवाने के निर्देश दिए। कहा, अब अस्पताल में आने-जाने के लिए अलग-अलग रास्ते बनवाए जाएंगे।गौरतलब हो कि सोमवार सुबह साढ़े 10 बजे राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल के रेडियोलॉजी यूनिट के स्टोर में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई थी, जिससे वहां अफरातफरी मच गई। चारों तरफ धुआं फैल गया। दम घुटने जैसी स्थिति पैदा हो गई। स्टाफ की सूझबूझ से बड़ा हादसा बच गया। समय रहते आग पर काबू पा लिया गया।
जब आग लगी तो दून अस्पताल में अग्निशमन संयंत्र खिलौना बने हुए थे। संयंत्र में पाइप तो लगा था, लेकिन पानी की सप्लाई नहीं जुड़ी थी। अस्पताल का स्टाफ पानी की बाल्टी लेकर आग बुझाने में लगा था। इमरजेंसी में पानी की सप्लाई के लिए टैंक तक यहां नहीं मिला।इस दौरान आईपीडी के करीब 25 मरीज व उनके तीमारदार वहीं मौजूद थे। अस्पताल में शॉर्ट सर्किट का कारण सीलन को माना जा रहा है। अस्पताल में आई सीलन को ठीक करने के साथ बिजली के तारों को ठीक करवाने के निर्देश दिए गए हैं। पिछले ही दिनों अमर उजाला की टीम ने सीलन को लेकर चेताया था। अस्पताल में एमआरआई मशीन, सीटी स्कैन मशीन, एक्स-रे आदि मशीनें थीं, जो आग की चपेट में आ सकती थीं। स्टोर में रखे कंट्रास्ट कैमरे, व्हीलचेयर, एसी समेत लाखों का सामान राख हो गया।
अस्पताल में मंगवाए जाएंगे ऑक्सीजन मास्क
प्राचार्य डॉ. गीता जैन ने बताया कि मरीजों को ध्यान में रखते हुए ऑक्सीजन मास्क मंगवाने के दिशा निर्देश दिए गए हैं। भविष्य में किसी अप्रिय घटना होने पर मरीजों को परेशानी से बचाया जा सकेगा। बताया कि अस्पताल की इमरजेंसी में अब तक केवल छोटे ऑपरेशन ही किए जाते थे, गंभीर घायलों को बड़े ऑपरेशन के लिए दूसरे वार्ड में शिफ्ट करना पड़ता था, लेकिन अब मरीजों की सहूलियत को देखते हुए 20 अगस्त से बड़े ऑपरेशन भी इमरजेंसी भवन में ही किए जाएंगे।