राजधानी में करीब दो लाख घर हैं। नगर निगम ने इन घरों से कूड़ा उठान के लिए तीन कंपनियों को ठेका दे रखा है। उनको सलाना करोड़ों रुपये का भुगतान भी किया जा रहा है। बावजूद राजधानी के 50 हजार से ज्यादा घरों से प्रतिदिन कूड़ा नहीं उठ रहा है। यहां कूड़े की गाड़ियां कभी-कभी तो तीसरे-चौथे दिन पहुंचती हैं। देहरादून में 2018 तक 60 वार्ड थे। उसके बाद करीब 70 ग्राम पंचायतों को नगर निगम में जोड़ा गया और नया परिसीमन हुआ तो वार्डों की संख्या 100 हो गई। सभी वार्डों में डोर-टू-डोर कूड़ा उठान की व्यवस्था बनाई गई थी। नगर निगम के 98 वार्डों में ईकोन, वाटरग्रेस और सनलाइट कूड़ा उठान की जिम्मेदारी संभाल रही है। तीनों कंपनियों पर निगरानी करने के लिए दो कंपनियां भी नियत की गई हैं। इनमें एक कंपनी है वी वोइस, जो 51 वार्डों की निगरानी कर रही है। जबकि 47 वार्ड में ब्रेन अबोव नामक कंपनी निगरानी कर रही है।
सनलाइट और ईकोन की हालत ज्यादा खराब
राजधानी में ईकोन कंपनी 26 वार्डों से कूड़ा उठान करती है। औसतन इसकी गाड़ियां इन 26 वार्डों में 60-65 प्रतिशत औसतम कूड़ा उठान कर पाती है। यही हालत सनलाइट की भी है। सनलाइट भी देहरादून के 25 वार्डों को कवर करती है। तीसरी कंपनी वाटरग्रेस की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। वाटरग्रेस लगभग आधे देहरादून के घरों से कूड़ा उठान करती है। इसकी रोजाना की पहुंच 75-82 प्रतिशत तक है।
डोर-टू-डोर कूड़ा नहीं उठने से पनप रहे जीवीपी प्वाइंट
शहर में सौ से ज्यादा जीपीवी गारबेज वल्नरेबल प्वाइंट हैं। रोजाना कूड़ा नहीं उठने से कूड़ेदान में पड़ा कूड़ा दुर्गंध देने लगता है। ऐसे में यदि तीसरे दिन भी गाड़ी नहीं आए तो घर में कूड़ा रखना संभव नहीं। मजबूरीवश लोग जीवीपी प्वाइंट पर जाकर कूड़ा डालते हैं। इस लचर व्यवस्था के चलते जीवीवी प्वाइंट पनप रहे हैं।नगर आयुक्त गौरव कुमार ने कहा कि डोर-टूू-डोर कूड़ा उठान में लापरवाही बरती जा रही है। कंपनियों को समय-समय पर चेतावनी दी जाती है। अब जल्द ही इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।