टिहरी। गंगी गांव के सोमेश्वर मंदिर में भेड़ मेला मनाया गया। 50 साल से चली आ रही यह परंपरा विशेष है। ऐसी मान्यता है कि यहां भेड़-बकरियां मंदिर की परिक्रमा करती हैं। ये आयोजन टिहरी जिले के भिलंगना ब्लॉक स्थित सीमांत गंगी गांव के सोमेश्वर महादेव मंदिर में होता है। मेले में पशु पालकों ने अपनी भेड़ों के साथ मंदिर की परिक्रमा कर खुशहाली की कामना की।
गंगी गांव में मेला। गंगी गांव पशुपालन और खेतीबाड़ी के लिए जाना जाता है। गांव के अधिकतर लोग इसी व्यवसाय से जुड़े हैं। अपने आराध्य देव सोमेश्वर महादेव का आशीर्वाद पाने और अपनी भेड़ों की सुरक्षा के लिए पशुपालक विगत 50 वर्षों से सोमेश्वर महादेव मंदिर में भेड़ परिक्रमा मेला आयोजित करते आ रहे हैं। मंदिर की परिक्रमा करने से उनका भेड़ पालन का व्यवसाय खूब आगे बढ़ता है। गंगी गांव में ग्रामीण भेड़ों के साथ मंदिर की परिक्रमा करते हैं। मेले में गांव का हर भेड़ पालक शामिल होता है।इस दौरान ढोल- दमाऊं के साथ देव डोली भी नृत्य कर सभी भेड़ पालकों और ग्रामीण को आशीर्वाद प्रदान करती हैं। इस बार भी गंगी गांव में भेड़ कौथिग का आयोजन किया गया। ग्रामीणों ने सोमेश्वर महादेव मंदिर के चारों ओर भेड़-बकरियों की परिक्रमा करवाकर यश और कुशलता की कामना की।
सोमेश्वर महादेव मंदिर में लगा मेला। मेले में क्षेत्र के लोगों की भीड़ देखने को मिली। गंगी गांव टिहरी जनपद का सबसे सुदूर सीमांत गांव है। विकास खंड मुख्यलय से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गंगी गांव आज भी अपने रीति रिवाजों पर कायम है। गंगी गांव के लोगों का रहन-सहन और वेशभूषा आज भी वैसे ही है, जैसे पहले हुआ करती थी। गंगी गांव के ईष्टदेव सोमेश्वर महादेव के प्रांगण में हर तीसरे वर्ष भेड़ कौथिग का आयोजन होता है। हजारों की संख्या में भेड़ बकरियों को मंदिर के चारों ओर घुमाया जाता है। गंगी गांव के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि और भेड़ पालन है। जिस कारण यहां पर हर तीसरे वर्ष भेड़ कौथिग का आयोजन होता है। पारंपरिक वेशभूषा में यहां पर झुमैलो नृत्य भी होता है जो मेले का मुख्य आकर्षण रहा है।
मंदिर की परिक्रमा करती हैं भेड़ें। यहां पर हर तीसरे वर्ष लगने वाला ये दो दिवसीय मेला बहुत ही भव्य मेला होता है। इसमें हजारों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। गंगी गांव के मंदिर में देवी-देवताओं के साथ एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजन में सबसे आश्चर्य भेड़ों की मंदिर परिक्रमा होती है। हजारों की संख्या में मंदिर के प्रांगण में भेड़ें आती हैं और फिर मंदिर के चारों तरफ कई देर तक दौड़ लगाती हैं। इसको लेकर ग्रामीणों का कहना है कि यहां गांव में अभी भी देव शक्ति है। यह देखने विदेशों के पर्यटक भी यहां पहुंचते हैं।