Monday, September 22, 2025
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स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के लिए 250 पद होंगे सृजित आधुनिक मशीनों से होगा कैंसर मरीजों का इलाज

हल्द्वानी राजकीय मेडिकल कॉलेज के अधीन स्वामी राम कैंसर संस्थान को अपग्रेड कर स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट बनाने का रास्ता साफ होने के बाद 250 पद सृजित करने का प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। इससे पहले अस्पताल में 152 पद स्वीकृत थे जिसकी नियुक्ति प्रक्रिया गतिमान है। इनमें 10 डॉक्टरों को नियुक्ति भी मिल गई है। साथ ही कैंसर मरीजों का इलाज अत्याधुनिक मशीनों से होगा।स्वामी राम कैंसर इंस्टीट्यूट को 103 करोड़ रुपये से वर्ष 2015 में स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट के रूप में उच्चीकृत करने की स्वीकृति मिली। सरकार की ओर से ब्रिडकुल को कार्यदायी संस्था बनाया गया था।

निर्माण कार्य में 44 पेड़ आड़े आने के कारण वन विभाग की आपत्ति से मामला दो साल तक अधर में लटका रहा। अब पेड़ कटाने की मंजूरी मिलने से चार मंजिल भवन का निर्माण जल्द शुरू होने की उम्मीद है। कैंसर के इलाज के लिए जरूरी मशीनों की खरीद के साथ नए पद सृजित होंगे। स्वामी राम कैंसर अस्पताल और रिसर्च संस्थान के निदेशक डॉ. केसी पांडे ने बताया कि समय बीतने के साथ परियोजना की लागत और बढ़ सकती है। 250 पदों के लिए शासन को प्रस्ताव भेज दिया गया है।

नए उपकरणों के लिए 150 करोड़ रुपये के टेंडर होंगे
स्टेट कैंसर संस्थान में 120 बेड का वार्ड और आईसीयू की सुविधा देने की भी योजना है। यहां तीमारदारों के ठहरने के लिए रैन बसेरा भी प्रस्तावित है। डायग्नोस्टिक ब्लॉक में ब्लड बैंक, पैथोलॉजी लैब, माइक्रोबायोलॉजी, बायोकेमस्ट्री लैब भी होगी। इससे रक्त आदि की जांच एक ही जगह पर हो सकेंगी। यहां न्यू क्लियर मेडिसिन समेत 31 विभाग होंगे। कैंसर मरीजों की थैरेपी के लिए सीटी सिमूलेटर आदि मशीनें आएंगी। रेडियोलॉजी विभाग में सीटी स्कैन, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड आदि जांचें भी की जाएंगी। इन उपकरणों की खरीद के लिए 150 करोड़ रुपये के टेंडर होंगे।

अनंतिम सूची में कोई आपत्ति नहीं, अब अंतिम प्रकाशन होगा
प्रदेश के सचिव पंचायतीराज के आदेश के क्रम में हुई कवायद के बाद जिला प्रशासन को परिसीमन की अनंतिम सूची में कोई आपत्ति नहीं मिली। इसलिए अब अंतिम सूची का प्रकाशन होगा। जिलाधिकारी वंदना सिंह ने बताया कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार नवगठित तथा उससे प्रभावित अन्य ग्राम पंचायतों के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के अनंतिम प्रकाशन पर आपत्तियां मांगी गई थी। इसमें कोई भी आपत्ति प्राप्त नहीं हुई है। अतः अनंतिम प्रकाशन में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है जिसका अंतिम प्रकाशन किया जाएगा।

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