Thursday, November 6, 2025
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उत्तराखंड के दानीजाला गांव वालों की मजबूरी 1971 के योद्धा का शव अंतिम संस्कार के लिए ट्रॉली से ले जाना पड़ा

हल्द्वानी: सरकार विकास के तमाम नगमे गाती है, लेकिन हल्द्वानी से महज 5 किलोमीटर दूरी पर रानीबाग के दानीजाला गांव को जोड़ने के लिए एक अदद पुल तक नहीं बना सकी. जिसके चलते गौला नदी पार करने के लिए लोगों को जान जोखिम में डालकर ट्रॉली से आवाजाही करनी पड़ रही है. इस बार भी दानीजाला से ऐसी तस्वीरें सामने आ रही है, जो सिस्टम पर कई सवाल खड़ी कर रही है.

भारत पाक युद्ध के योद्धा रहे गोपाल जंग बस्नेत का हो गया था निधन: भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971 में प्रतिभाग करने वाले वीर योद्धा गोपाल जंग बस्नेत का 12 सितंबर को निधन हो गया था. गोपाल जंग रानीबाग के दानीजाला में रहते थे. बीमारी के चलते 78 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. उनके दो बेटे सेना में सेवारत हैं.

अंतिम संस्कार के लिए ट्रॉली से ले जाना पड़ा शव: आज यानी 13 सितंबर को मूसलाधार बारिश में रानीबाग के दानीजाला गांव में अंतिम संस्कार के लिए शव को ट्रॉली से लेकर जाना पड़ा. बताया जा रहा है कि भारी बारिश से गौला नदी उफान पर बह रही है. इसके चलते उनके शव को ट्रॉली के माध्यम से लाया गया, जिसके बाद किसी तरह से श्मशान घाट ले गए और उनका अंतिम संस्कार किया.

दानीजाला के 20 परिवार झूला पुल बनाने की कर रहे मांग: ग्रामीणों ने नाराजगी जताते हुए सरकार पर आरोप लगाया है कि दशकों से सरकार उनके गांव की उपेक्षा कर रही है. जिसके चलते उन्हें कई तरह की परेशानियां हो रही हैं. ग्रामीणों ने बताया कि यहां 20 परिवार रहते हैं, लेकिन फिर भी आज तक नदी पर झूला पुल को लेकर पूरे गांव की दशकों की मांग अधूरी ही है.

दानीजाला गांव के ज्यादातर लोग देश की हिफाजत में हैं तैनात: हल्द्वानी शहर से कुछ ही दूरी पर बसे इस गांव के ज्यादातर लोग भारतीय सेना से जुड़े हुए हैं. ब्रिटिश आर्मी से लेकर भारतीय सेना में कई लोग सेवाएं देते आए हैं तो 12 से ज्यादा युवा सेना में सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी अपने मूलभूत अधिकारों से ग्रामीण वंचित हैं.

आम दिनों में गौला नदी पैदल ही पार करते हैं ग्रामीण: ग्रामीणों का कहना है कि अन्य दिनों में वो नदी को पैदल पार करते हैं, लेकिन बरसात में पानी बढ़ जाता है, जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वे लंबे समय से झूला पुल बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों को अनसुना कर दिया जाता है. इसके चलते उन्हें रस्सियों की ट्रॉली से ही नदी पार करनी पड़ती है. ऐसे में हमेशा हादसे की आशंका बनी रहती है.

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