अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नंदन सिंह की अदालत ने भीमावाला में मां-बेटी की गोली मारकर हत्या, दूसरी बेटी की हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट के सात वर्ष पुराने मामले में आरोपी को दोषी करार दिया है। 20 सितंबर को उसे सजा सुनाई जाएगी। पांच जून 2017 को भीमावाला चुंगी निवासी ज्योति विश्वास ने कोतवाली पुलिस को तहरीर देकर बताया था कि शाम के समय उनकी माता काकूली और बड़ी बहन वैशाली उर्फ रानी घर में थी। भाई विश्वजीत विश्वास किसी काम से डाकपत्थर गए थे। शाम करीब साढ़े छह बजे विकासनगर के चिरंजीपुर दांडी निवासी आनंद परवाल घर में जबरदस्ती घुस गया। उसने झगड़ा शुरू कर दिया। कहने लगा कि मुझे रानी से बात करने नहीं दिए तो मैं कुछ गलत कर दूंगा। भाई को फोन कर घर आने को कहा तो आरोपी आक्रोश में आ गया। उसने घर के अंदर वाले कमरे में घुसकर माता काकूली को तमंचे से गोली मार दी। उसके बाद बहन वैशाली उर्फ रानी को जबरन खींचकर अंदर वाले कमरे में ले गया और उसे भी गोली मार दी।
आरोपी से तमंचा छीनने का प्रयास किया तो उसने मुझे भी गोली मारने की कोशिश की। लेकिन, तमंचे से गोली चली नहीं। उसके बाद आरोपी ने सिर पर तमंचे के बट से वार किया। शिकायतकर्ता ने बताया जब उन्होंंने शोर मचाया तो आरोपी अपनी बाइक पर सवार होकर फरार हो गया। पुलिस ने तहरीर के आधार पर आरोपी के खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास और आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया। घटना की रात को ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। घटना को अंजाम देने के लिए प्रयोग किया गया तमंचा, कारतूस और घटनास्थल से गोली के खोखे भी बरामद किए। विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट से पता चला कि वैशाली उर्फ रानी और काकूली की मौत आनंद परवाल के पास से मिले तमंचे से चली गोली से हुई है।मामले में 20 गवाह न्यायालय के समक्ष पेश किए गए। उनकी ओर से पेश किए गए साक्ष्यों और तथ्यों को सुनने के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नंदन सिंह की अदालत ने आरोपी आनंद परवल को दोषी करार दिया है।