“सुंदरी मुंदरी हो, तेरा कौन बेचारा हो” गीतों के साथ मनी लोहड़ी
शीतकाल की विदाई और नई फसल के स्वागत का उत्सव
देहरादून, 13 जनवरी: उत्तर भारत के प्रमुख लोक पर्व लोहड़ी के अवसर पर करणपुर स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर विधिवत पूजा-अर्चना के बाद मुख्य अतिथि और प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष एवं मंदिर समिति के मुख्य संरक्षक, श्री सूर्यकांत धस्माना ने लोहड़ी की पवित्र अग्नि प्रज्वलित की। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालुओं को लोहड़ी की हार्दिक शुभकामनाएं दीं।
श्री धस्माना ने अपने संबोधन में कहा, “लोहड़ी उत्तर भारत का एक प्रमुख पर्व है, जो विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तराखंड सहित कई राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व शीतकाल की विदाई, फसल की कटाई, और नई फसल की बुआई के स्वागत का प्रतीक है।” उन्होंने इस उत्सव की सांस्कृतिक और पारंपरिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि लकड़ी और सूखे उपले जलाने के साथ रेवड़ी, मूंगफली, और मक्के के प्रसाद का वितरण इस त्योहार को और आनंदमय बना देता है।
मंदिर प्रांगण में “सुंदरी मुंदरी हो, तेरा कौन बेचारा हो” जैसे पारंपरिक गीतों की गूंज ने माहौल को और भी उल्लासपूर्ण बना दिया। श्रद्धालुओं ने अग्नि में तिल, गुड़, रेवड़ी, और मूंगफली डालकर समर्पण और समृद्धि की कामना की।
इस अवसर पर मंदिर समिति के अध्यक्ष श्री सुरेश दूसेजा, सचिव श्री सुभाष वासुदेव, पंडित अनूप चंदन, पंडित वाचस्पति डिमरी, श्री सतीश दूसेजा, श्री जनक राज, श्री नरेश सहगल समेत बड़ी संख्या में क्षेत्रवासी उपस्थित रहे।
समारोह के दौरान श्रद्धालुओं ने पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए इस पर्व को सामूहिक उत्साह के साथ मनाया।