रामनगर। दिल्ली, यूपी, हरियाणा, पंजाब समेत कई राज्यों से रामनगर की प्रसिद्ध लीची की डिमांड आने लगी है। जून माह के पहले सप्ताह से अन्य राज्यों के लिए लीची रवाना हो जाएगी।रामनगर में 850 हेक्टेयर में आम व 900 हेक्टेयर भूमि पर लीची की पैदावार की होती है। बढ़े साइज व मीठे स्वाद के लिए रामनगर की लीची अन्य राज्यों में भी फेमस है। रामनगर में एक सप्ताह पूर्व से लीची तोड़ने का कार्य शुरू हो गया है। बाजारों में भी लीची भी पहुंच गई है। काश्तकारों ने जून माह के पहले सप्ताह से अन्य राज्यों के लिए लीची की तुड़ाई शुरू करने का निर्णय लिया है।
ओलों से लीची को नुकसान
बीते दिनों रामनगर क्षेत्र में हुई ओलावृष्टि से कई क्षेत्रों के काश्तकारों को बढ़ा नुकसान हुआ है। ओलावृष्टि के चलते कई काश्तकारों का लीची में दाग आने, दाना फटने जैसा नुकसान हुआ है। वहीं उद्यान विभाग ने नुकसान का आंकलन शुरू कर दिया है। 20 एकड़ बगीचे में पिछले साल 60 टन लीची हुआ था। इस साल 20 फीसदी तक फायदा होने की उम्मीद है। लीची के लिए अन्य राज्यों के काश्तकार संपर्क कर रहे हैं। एक जून से लीची अन्य राज्यों को भेजी जाएगी। – श्वेतांशु चतुर्वेदी, काश्तकार, रामनगर।
सात एकड़ में लीची पककर तैयार हो गई है। जून माह के पहले सप्ताह तक लीची अन्य राज्यों के लिए भेजी जाएगी। – पृथ्वी पाल, काश्तकार, रामनगर।
कोट-
लीची का स्वाद अभी थोड़ा खट्टा है। जून माह तक लीची पूरी तरह तैयार हो जाएगी। बीते दिनों हुई ओलावृष्टि से लीची को हुए नुकसान का आंकलन किया जा रहा है। – एएस परवाल, प्रभारी, उद्यान विभाग रामनगर।