कोटा बैराज से छोड़े गए 2 लाख क्यूसेक पानी के चलते चंबल नदी में आए उफान से क्षेत्र के 38 गांवों को अलर्ट जारी किया गया है। लोगों को नदी किनारे न जाने की हिदायत के साथ बचाव और राहत के लिए 8 बाढ़ चौकियां बनाई गईं हैं। वहीं, चंबल नदी में आए उफान के मद्देनजर प्रशासन ने पिनाहट और कैंजरा घाट पर मोटरबोट का संचालन बंद करा दिया है। नदी से जुड़ने वाले कच्चे रास्ते और खादरों में नदी का पानी भर गया है। 24 घंटे में नदी का जलस्तर 7 मीटर बढ़कर 114 मीटर से 121 मीटर पर पहुंच गया, जो चेतावनी स्तर 127 मीटर से 6 मीटर नीचे है। खतरे का निशान 130 मीटर पर है।
चंबल नदी में आए उफान के चलते निचले इलाके के रानीपुरा, भटपुरा, गोहरा, मऊ की मढ़ैया, रेहा, डगोरा, पुरा शिवलाल, झरनापुरा, भगवानपुरा, उमरैठा पुरा, क्योरी बीच का पुरा गांवों में रतजगा के हालात पैदा हो गए हैं। लोग निचले इलाके की झोंपड़ियों में रखे भूसा आदि को समेटने लगे हैं। रेहा के प्रधान अजय कौशिक, सिमराई के प्रधान जयवीर सिंह, भगवान पुरा के प्रधान बच्छराज सिंह, गोहरा के राकेश यादव, गुढ़ा के हजूरी ने बताया कि ग्रामीण चंबल नदी के जलस्तर पर नजर रखे हुए हैं। चंबल नदी के बढ़ते जलस्तर के मद्देनजर प्रशासन ने हल्का लेखपालों को गांव में ही स्टे करने और नदी के जलस्तर पर नजर रखने के निर्देश दिए है।एसडीएम बाह हेमंत कुमार ने बताया कि सोमवार की रात में चंबल नदी का पानी तेजी से बढ़ा था। मंगलवार को दिन में महज एक मीटर पानी बढ़ा है। बचाव और राहत के लिए 8 बाढ़ चौकियां बनाई हैं। लोगों को नदी किनारे न जाने की हिदायत दी गई है। प्रशासन हालात पर नजर रखे हुए है।
बाढ़ चौकी पर विस्थापित होंगे प्रभावित परिवार
प्रशासन ने परिवार प्रभावित होने की स्थिति में विस्थापन के लिए 8 बाढ़ चौकियां गठित की गई हैं। इनमें प्रभावित गांव के प्रभावित परिवार के अलावा मजरों के लोग शिफ्ट किए जाएंगे। ये हैं गठित 8 बाढ़ चौकियां…
मंसुखपुरा : रेहा, बरेंडा, तासौड़
पिनाहट : पिनाहट, क्योरी, करकोली, मंहगोली, उटसाना
उमरैठा : उमरैठा पुरा, बघरैना
बासौनी : बासौनी, जेबरा, कुंवरखेडा
सिमराई : सिमराई, गुढा,
पुरा भगवान : पुरा भगवान
खेड़ा राठौर : खेडा राठौर, महुआशाला, गोहरा, रानी पुरा
नंदगवां : नंदगवां, बिट्ठौना, प्यारमपुरा, मुकुटपुरा, हथकांत, नावली, कोरथ, कमोनी, उदयपुर खुर्द
फसलों के नुकसान का अंदेशा, किसान परेशान
सिमराई के प्रधान जयवीर सिंह और रेहा के प्रधान अजय कौशिक ने बताया कि फसलों के नुकसान के अंदेशे और उफान के खतरे ने ग्रामीणों की नींद उड़ा दी है। चंबल नदी में बढ़ते जलस्तर से किसानों को फसलों के नुकसान का डर सता रहा है। कछार में सब्जियों के अलावा बाजरा की फसल किसानों ने रोपी है। जलस्तर कम होने पर ही नुकसान की स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
चरवाहों ने बीहड़ में जाना किया बंद, रहेगा चारे का संकट
नदी के उफान की वजह से चरवाहों ने पशुओं के साथ बीहड़ में जाना बंद कर दिया है। नदी किनारे के ग्रामीण खेती के अलावा पशु पालन पर आश्रित है। पशुओं को उन्होंने खूंटों पर बांध दिया है। उनका कहना है कि जलस्तर बढ़ने से पशुओं के चारे का संकट पैदा हो जाएगा। रेंजर कुलदीप सहाय पंकज ने चरवाहों को नदी किनारे क्षेत्र में न जाने की हिदायत दी है।