बदरीनाथ धाम को जाने वाले मार्ग में आने वाला कर्णप्रयाग- जोशीमठ (चमोली) का क्षेत्र भूस्खलन की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। यह बुनियादी ढांचे और जीवन दोनों के लिए खतरा है। यह तथ्य अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अध्ययन में सामने आया है। इससे जुड़ा अध्ययन वाडिया हिमालय भू विज्ञान संस्थान में राष्ट्रीय भू- अनुसंधान अध्येता सम्मेलन में प्रदर्शित किया गया है।कर्णप्रयाग से जोशीमठ के 80 किमी के मार्ग में भूस्खलन को अलीगढ़ विवि के ख्याति गुप्ता और तारिक सिद्दीकी ने अध्ययन (लैंडस्लाइड रिस्क मैपिंग आलोंग नेशनल हाईवे- 7 इन द गढ़वाल हिमालय) के दौरान पूरे क्षेत्र को संवेदनशीलता को लेकर पांच भागों बहुत कम, कम, मध्यम, उच्च और अति उच्च श्रेणी में विभाजित किया गया।इसमें मार्ग के अलावा उससे सटे इलाकों को भी अध्ययन में शामिल किया गया है। इसमें बताया गया है कि कर्णप्रयाग-जोशीमठ कॉरिडोर का 50 प्रतिशत से अधिक भाग उच्च से अत्यंत उच्च भूस्खलन जोखिम क्षेत्र में आता है। आसपास का क्षेत्र भी संवेदनशील बताया गया है।धामी कैबिनेट के फैसले: उत्तराखंड में लागू होगी देवभूमि परिवार योजना, उपनल सहित इन 12 प्रस्तावों पर लगी मुहर
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अध्ययन के साथ ही यहां पर तत्काल ढलानों के स्थिरीकरण और रोकथाम के तत्काल कदम उठाए जाने का उल्लेख भी किया गया है। इसके अलावा अध्ययन क लिए इस्तेमाल तरीकों (मैथोडोलॉजी)का भी उल्लेख किया गया है।







