Sunday, September 21, 2025
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तीन सप्ताह में मांगा जवाब सहायक वार्डन की भर्ती परीक्षा के परिणाम पर हाईकोर्ट ने लगाई अंतरिम रोक

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गोरखी देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सहायक वार्डन पद की भर्ती परीक्षा का परिणाम घोषित करने पर अंतरिम रोक लगा दी है। निर्देश दिया कि परिणाम कोर्ट की अनुमति के बिना जारी नहीं होगा। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने सरकार व निजी प्रतिवादी से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। आरोप है कि एक उम्मीदवार को अनुचित लाभ देने की कोशिश हुई। उसने बताया कि आवेदन की अंतिम तिथि 30 अप्रैल तक निजी प्रतिवादी ने एनएसएस प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं किया था। बाद में शिक्षा सचिव ने आदेश देकर देर से जमा प्रमाणपत्र पर विचार करने को कहा। याचिकाकर्ता के अनुसार, यह प्रमाणपत्र 29 जुलाई तक अस्तित्व में ही नहीं था। याचिकाकर्ता ने दस्तावेज दिखाया, जिसमें सीनियर सेकेंडरी स्कूल, हिमगिरी (चंबा) के प्रिंसिपल ने 16 एनएसएस स्वयंसेवकों के प्रमाणपत्र हस्ताक्षर के लिए निदेशक उच्च शिक्षा को पत्र भेजा था। चूंकि साक्षात्कार गुरुवार को होना था, अदालत ने पूरी चयन प्रक्रिया रोकने के बजाय निर्देश दिया कि प्रक्रिया जारी रहे, लेकिन परिणाम घोषित न हों। याचिकाकर्ता को विवादित दस्तावेजों की अनुवादित प्रतियां चार सप्ताह में जमा करने को कहा गया है। सहायक वार्डन पद के लिए विज्ञापन 7 अप्रैल 2025 को जारी हुआ था और अंतिम तिथि 30 अप्रैल तय थी।

मातृत्व अवकाश के दौरान सेवा नियमित करने के बाद अवकाश रद्द करने का आदेश खारिज
हाईकोर्ट ने मातृत्व अवकाश के दौरान सेवा नियमित करने के बाद अवकाश रद्द करने को अवैध करार देते हुए विभागीय आदेश रद्द कर दिए हैं। न्यायाधीश संदीप शर्मा की पीठ ने 13 दिसंबर 2021, 23 दिसंबर 2021 और 19 जून जून 2025 के आदेशों को निरस्त करते हुए याचिकाकर्ता को सभी देय राशि चार सप्ताह में जारी करने के निर्देश दिए। देरी पर छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज देना होगा। मामला जेबीटी शिक्षिका कामिनी शर्मा से जुड़ा है, जिन्होंने 5 सितंबर 2018 को अनुबंध आधार पर सेवा शुरू की। 21 अगस्त 2021 को बच्चे के जन्म के बाद उन्होंने 180 दिन का मातृत्व अवकाश लिया। विभाग ने 21 अक्तूबर 2021 को सेवाएं नियमित कर दीं। नियमितीकरण को 22 अक्तूबर को उन्होंने मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट के साथ ज्वाइनिंग दी, यह स्पष्ट करते हुए कि वे मातृत्व अवकाश पर हैं। विभाग ने ज्वाइनिंग स्वीकार की। दो माह बाद आदेश जारी कर अवकाश रद्द कर दिया। 23 अक्तूबर 2021 से अनुपस्थित मानते हुए अवधि को साधारण अवकाश में बदल दिया।

हाईकोर्ट ने वृद्ध आश्रमों के मामले में एमसी शिमला बनाया पक्षकार
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने वृद्ध आश्रमों से संबंधित एक मामले में शिमला नगर निगम को पक्षकार बनाया है। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने नगर निगम से कहा कि क्या वह कोई वृद्ध आश्रम चलता है। उनका रखरखाव करता है और क्या वह ऐसे किसी संस्थान को आर्थिक सहायता भी प्रदान करता है। निगम से यह जानकारी देने के लिए कोर्ट ने एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 24 सितंबर को होगी। हिमाचल में 9 वृद्ध आश्रम और 22 डे केयर सेंटर चलाए जा रहे हैं।

हाटियों को एसटी का दर्जा देने के मामले में 3 सितंबर से लगातार सुनवाई
सिरमौर जिले के हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के मामले में 3 सितंबर से हिमाचल उच्च न्यायालय में लगातार अंतिम सुनवाई होगी। बुधवार को जब मामला सुनवाई के लिए लगा तो न्यायालय ने पाया कि इसमें लगातार सुनवाई की आवश्यकता है। सभी पक्षों की ओर से न्यायालय से अनुरोध किया गया कि मामले को 3 सितंबर के बाद लगातार सुना जाए। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश सुशील कुकरेजा की अदालत ने सभी पक्षों की ओर से की गई मांग को स्वीकार किया। हाईकोर्ट में इस कानून के पक्ष और विपक्ष में करीब एक दर्जन याचिकाएं दायर की गईं हैं, जिनमें हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा देने के फैसले को चुनौती दी गई। याचिकाओं में कहा गया है कि एससी, ओबीसी और प्रभावशाली जातियों को एसटी सूची में शामिल करने में मनमानी की गई है। उच्च न्यायालय ने अधिसूचना पर अंतरिम रोक लगा रखी है। सभी पक्षों की ओर से अदालत को बताया गया कि मामले में अलग-अलग तीन से चार कानून बिंदुओं पर बहस होगी।

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