देहरादून: उत्तराखंड में POSCO (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस) अधिनियम के प्रति जागरूकता बढ़ाने और इसे सही तरीके से लागू करने के लिए एक महत्वपूर्ण सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र में उत्तराखंड पुलिस की एएसपी देहात, जय बलोनी, और बाल अधिकार संगठन उत्तराखंड की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने भाग लिया। सत्र में बच्चों की सुरक्षा, न्याय, और POSCO अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन पर चर्चा की गई।
बच्चों के अधिकारों की रक्षा में बढ़ती जागरूकता
डॉ. गीता खन्ना ने बताया कि अब परिवार बच्चों का समर्थन करने और उनके मामलों को दर्ज कराने के लिए आगे आने लगे हैं। उन्होंने कहा, “बच्चों को न्याय दिलाने के लिए परिवार, पुलिस, और समाज के सभी गेटकीपरों का सहयोग आवश्यक है। पुलिस भी इन मामलों में तेजी से कार्रवाई करने का प्रयास कर रही है।”
ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी
एएसपी जय बलोनी ने कहा कि कई बार मामले सीधे माता-पिता द्वारा दर्ज नहीं किए जाते, बल्कि अस्पतालों या अन्य माध्यमों से सामने आते हैं। उन्होंने कहा, “दूरदराज क्षेत्रों में कानून की जानकारी बेहद कम है। हमें हर गांव में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है। मंगल दल के साथ मिलकर हम बच्चों को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि यौन अपराध गंभीर अपराध हैं।”
स्कूलों और शिक्षकों की भूमिका
सत्र में स्कूलों की जिम्मेदारी पर विशेष जोर दिया गया। जय बलोनी ने कहा कि हर स्कूल में शिकायत समिति होनी चाहिए और पुरुष एवं महिला शिक्षक दोनों का होना जरूरी है। उन्होंने कहा, “स्कूलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी अपराधी शिक्षक को हटाने के बाद पुलिस को जानकारी दी जाए।”
POSCO अधिनियम और झूठे मामलों की चुनौती
पूर्व डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि POSCO अधिनियम के आने से रिपोर्टिंग और कार्रवाई में बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा, “हालांकि, झूठे मामलों की संख्या भी बढ़ी है। ऐसे मामलों में पुलिस और जांच अधिकारियों को सतर्कता बरतने की जरूरत है।” पूर्व डीजीपी आलोक बी. लाल ने कहा कि “POSCO के तहत जांच अधिकारी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।”
झूठे मामलों के उदाहरण और उनके समाधान
एएसपी जय बलोनी ने सत्र के दौरान दो घटनाओं का उल्लेख किया:
- एक बच्ची ने अपनी मां के पक्ष में अपने पिता पर झूठा आरोप लगाया।
- एक अन्य मामले में, एक बच्ची ने अपने पिता के दबाव में अपने नाना पर झूठा आरोप लगाया।
दोनों मामलों में जांच में सच्चाई सामने आई और झूठे आरोपों को खारिज किया गया। बलोनी ने कहा कि झूठे मामलों से न केवल कानून की प्रक्रिया पर असर पड़ता है, बल्कि जांच अधिकारियों पर भी अनावश्यक दबाव बनता है।
सामूहिक प्रयास की आवश्यकता
सत्र में यह निष्कर्ष निकला कि बच्चों की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों का सामूहिक प्रयास आवश्यक है। POSCO अधिनियम के तहत न्याय सुनिश्चित करने के साथ-साथ झूठे मामलों को रोकने पर भी जोर दिया गया।
अधिनियम के प्रति जागरूकता बढ़ाने का आह्वान
सत्र के अंत में, प्रतिभागियों ने POSCO अधिनियम की जागरूकता बढ़ाने और इसे सही तरीके से लागू करने के लिए कार्यशालाओं और कार्यक्रमों के आयोजन की अपील की। स्कूल प्रमुखों और शिक्षकों को बच्चों के व्यवहार में बदलावों को पहचानने और सही समय पर कार्रवाई करने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
यह सत्र बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक सार्थक प्रयास के रूप में देखा गया, जिसमें समाज के सभी वर्गों को अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया गया।