कचहरी मामले को लेकर अधिवक्ताओं और पुलिस प्रशासन की सर्किट हाउस में रविवार की शाम 4 बजे बैठक होगी। एडीएम सिटी की ओर से जारी पत्र के अनुसार, दी सेंट्रल बार एसोसिएशन और दी बनारस बार एसोसिएशन के अध्यक्ष व मंत्री उपस्थिति रहेंगे।अधिवक्ताओं पर दर्ज मुकदमे के खिलाफ सेंट्रल और बनारस बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने न्यायिक कार्य से विरत होकर विरोध दर्ज कराया। कचहरी परिसर में जुलूस निकालकर नारेबाजी की। सुबह अधिवक्ताओं के समूह ने पुलिस आयुक्त कार्यालय में घुसने का प्रयास किया, जिन्हें कुछ वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने समझा बुझाकर हटाया। डीएम पोर्टिको के बाहर भी नारे लगाए। बनारस बार सभागार में बैठक में तय हुआ कि सोमवार को आगे की रणनीति पर मंथन होगा। इसके बाद आंदोलन को और तेज किया जाएगा। बनारस बार को पूर्वांचल समेत 60 बार एसोसिएशन ने समर्थन दिया है। आम दिनों की अपेक्षा कचहरी में अधिवक्ताओं की भीड़ थी।सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मंगलेश दुबे ने बताया कि दो दिन में यदि कोई निष्कर्ष नहीं निकलता है तो फिर आगे की रणनीति पर मंथन किया जाएगा। बनारस बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश कुमार तिवारी ने बताया कि अधिवक्ताओं में उबाल है।आंदोलन को संयुक्त बार संघ उत्तर प्रदेश का भी सहयोग मिला और आजमगढ़ के आनंद श्रीवास्तव, बलिया से रणजीत सिंह, गोरखपुर से धीरेंद्र द्विवेदी, देवी शरण चतुर्वेदी, मिर्जापुर से संजय उपाध्याय, सोनभद्र से सत्यदेव पांडेय, अयोध्या से सूर्यनारायण सिंह, प्रयागराज से अभिषेक शुक्ला रहे। प्रदीप कुमार सिंह सह अध्यक्ष राज्य विधिक परिषद ने आश्वासन दिया कि आंदोलन में मजबूती से खड़े हैं।
हाथों में हथकड़ी पहनकर प्रदर्शन : अधिवक्ताओं ने अनोखे तरीके से हाथों में हथकड़ी और बांह पर काली पट्टी बांधकर विरोध जताया। कचहरी परिसर में अधिवक्ताओं ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की। अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि फर्जी मुकदमा स्पंज नहीं हुआ तो फिर आंदोलन के लिए अधिवक्ता बाध्य होंगे। अधिवक्ताओं ने कहा कि जेल में जगह कम पड़ जाएगी। इस दौरान अधिवक्ता सुनील मिश्रा, शैलेंद्र सिंह पटेल, पंकज उपाध्याय, अमनदीप सिंह, दीपक उपाध्याय, अभिषेक चौबे, अमित यादव, जुनैद जाफरी मौजूद रहे। अधिवक्ता राहुल सिंह ने कहा कि फर्जी मुकदमा रद्द नहीं हुआ तो अधिवक्ताओं के आंदोलन को कोई रोक भी नहीं सकेगा। एडीसीपी नीतू को जिले से हटाया जाए। रथयात्रा चौराहे पर पत्नी के सामने अधिवक्ता को पीटकर घायल करना और बड़ागांव थाने में तहसील दिवस पर अधिवक्ता की सार्वजनिक पिटाई के मामले में पुलिस ने कार्रवाई बंद कर दी है। कचहरी परिसर की घटना में दरोगा को अधिवक्ताओं ने ही बचाया। एक महिला अधिकारी अपशब्दों और सिर्फ अधिवक्ताओं को उकसाने का प्रयास कर रही हैं। पुलिस के आलाधिकारियों का स्थानांतरण हो। राज्य सरकार और पीएमओ की मौन स्थिति के चलते आगे के परिणाम काफी भयावह दिख रहे हैं, जो सत्ता परिवर्तन का आधार भी बन सकता है। – श्रीनाथ त्रिपाठी, सदस्य, बार काउंसिल ऑफ इंडिया
पुलिसिया उत्पीड़न पूरे न्याय तंत्र पर हमला
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर वकील और पुलिस के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस वकील समाज के साथ खड़ी है। न्याय, संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष करना पार्टी का कर्तव्य है। वकीलों के साथ पुलिसिया उत्पीड़न पूरे न्याय तंत्र पर हमला है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश की सरकार और पूरा प्रशासन मौन दर्शक बना है। उन्होंने प्रधानमंत्री से तीन मांगें रखी हैं। कहा है कि केंद्र और राज्य सरकार तत्काल हस्तक्षेप कर वकीलों, पुलिस प्रशासन एवं न्यायिक अधिकारियों के बीच संवाद की प्रक्रिया शुरू करे। वकीलों पर हुए हमलों और अपमानजनक व्यवहार के दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो। वकीलों की सुरक्षा और सम्मान की गारंटी सुनिश्चित की जाए। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने वाराणसी के अधिवक्ताओं के आंदोलन का समर्थन किया। पुलिस के व्यवहार की आलोचना की है। बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष ने कहा है कि सोमवार से हाईकोर्ट के कुछ वकील आंबेडकर प्रतिमा के सामने क्रमिक अनशन शुरू करेंगे।