बच्चों में बेवक्त खाने की आदत स्वास्थ्य के लिए घातक हो रही है। इसकी वजह से हो रही ओबेसिटी (मोटापा) से हृदयघात का खतरा बढ़ रहा है। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के बाल रोग विभाग की ओपीडी में हर रोज चार मरीज ओबेसिटी से ग्रसित पहुंच रहे हैं।फूड डिलीवरी माध्यमों की आसान उपलब्धता और देर रात तक जागने की आदत बच्चों में बेवक्त खाने की प्रवृत्ति को जन्म दे रही है। बच्चों का रात और दिन में किसी भी समय खाना खाने की इच्छा हो रही है। लंबे समय तक यह आदत अपनाने वाले बच्चों में स्वास्थ्य चुनौतियां देखने को मिल रही हैं। इसके परिणाम अब सामने आने लगे हैं।बड़ी संख्या में बच्चे अनिद्रा और उच्च रक्तचाप समेत कई शिकायतें लेकर पहुंच रहे हैं। इसकी वजह से उनमें से मोटापा पनप रहा है। दून अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक कुमार के मुताबिक बच्चों में मोटापे के कई कारण हो सकते हैं। इसमें बच्चों की गतिहीन दिनचर्या, पैकेट का संरक्षित खाना, डायबिटीज और अस्थमा मुख्य है।
बच्चे देर रात तक जागकर फोन और कंप्यूटर पर ऑनलाइन गेम खेलते हैं। एक महीने से अधिक दिनों तक यह क्रम दोहराने यह एक आदत का रूप ले लेती है। इससे बच्चों में बेवक्त खाने की इच्छा पैदा होने लगती है।ऐसे में वे रात को लंबे समय से संरक्षित किया हुआ खाना मंगवाते हैं। जो उनके तेजी से वजन बढ़ोतरी का मुख्य कारण बनता है। मोटापे से ग्रसित बच्चों में हृदयघात का खतरा बढ़ जाता है। उनके शरीर का उच्च कोलेस्ट्रॉल हृदय की धमनियों में वसा को एकत्रित कर देता है। इसके अलावा इन बच्चों में लिवर सिरोसिस का खतरा भी बढ़ जाता है। यह लिवर फेलियर का भी कारण बन सकता है। इसके दो एंजाइम एसजीपीटी और एजीओटी का स्तर बढ़ जाता है।
बच्चों का खराब हो रहा अकादमिक प्रदर्शन
डॉ. अशोक के अनुसार मोटापा बच्चों के अकादमिक प्रदर्शन पर गहरा असर डाल रहा है। चिकित्सक इसे भी ओबेसिटी का एक मुख्य लक्षण मान रहे हैं। जो बच्चे अधिक मोटे होते हैं उनमें कई तरह के ऐसे में हार्माेनल बदलाव देखने को मिलते हैं। इससे वे अधिक आलसी हो जाते हैं। अध्यापक अक्सर अभिभावकों से उनके कक्षा में सुस्त रहने की शिकायत करते हैं। इससे उनका पढ़ाई में भी मन नहीं लगता है।
बचाव के उपाय
बच्चों के खाने-पीने की समयसारिणी तैयार करें
45 मिनट तक उनसे शारीरिक व्यायाम करवाएं
संरक्षण खाने का सेवन न करें







