केंद्रीय शीतजल मत्स्य अनुसंधान संस्थान भीमताल के वैज्ञानिकों ने रिसर्च के क्षेत्र में एक और उपलब्धि हासिल की है। उत्तराखंड के समशीतोष्ण हिमालयी क्षेत्र में पाई जाने वाली ट्राउट मछली में वैज्ञानिकों ने स्यूडोमोनाज प्रजाति में टूट्टीकोला वंश के नए जीवाणु की खोज की है। जीवाणु विज्ञान के क्षेत्र में इस खोज को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसका वैज्ञानिक नाम स्यूडोमोनाज टूट्टीकोला रखा गया है। टूट्टी (ट्राउट) कोला (निवासी) का अर्थ है ट्राउट मछली में रहने वाला जीवाणु।संस्थान के वैज्ञानिकों का मानना है कि टूट्टीकोला की खोज से हिमालयी ट्राउट मत्स्य पालन में पाए जाने वाले संभावित रोगजनक जीवाणुओं की समझ में वृद्धि होगी। यह अनुसंधान क्षेत्रीय मत्स्य स्वास्थ्य प्रबंधन एवं रोग नियंत्रण रणनीतियों के विकास में सहायक सिद्ध होगा
वैज्ञानिकों की ओर से नए जीवाणु की विशेषताओं पर अभी अध्ययन किया जा रहा है कि इसके कुनबे की यह खोज किस तरह आगे लाभदायक सिद्ध हो सकती है।संस्थान के वैज्ञानिकों ने रेनबो ट्राउट से स्यूडोमोनाज वंश का नया जीवाणु टूट्टीकोला खोजा है जो एक बड़ी उपलब्धि है। यह जीवाणु रोगजनक 6 होने की क्षमता रखता है। इसमें एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध भी अधिक है। मछली पालन के क्षेत्र में इससे लाभ होगा। भविष्य में इस जीवाणु पर शोध से और भी चीजें सामने आ सकती हैं। -डॉ. अमित पांडे, निदेशक सीआईसीएफआर भीमताल
मत्स्य शोध कार्यों के लिए जाना जाता है सीआईसीएफआर
केंद्रीय शीतजल मत्स्य अनुसंधान संस्थान भीमताल को मत्स्य पालन के क्षेत्र में विभिन्न शोध कार्यों के लिए जाना जाता है। शोध कार्यों के साथ किसानों को वैज्ञानिक विधि से मत्स्य पालन के लिए प्रोत्साहित भी किया जाता है ताकि वे अधिक और उन्नत मछलियों उत्पादन कर सकें।
जीनोम सीक्वेंसिंग से हुई पहचान
वैज्ञानिकों के मुताबिक जीवाणु की पहचान संपूर्ण जीनोम सीक्वेंसिंग से हुई जिससे यह स्पष्ट हुआ कि यह नया तथा6 पहले से अज्ञात प्रजाति का बैक्टीरिया है। इसकी खोज से वैज्ञानिक काफी उत्साहित हैं।रिसर्च में शामिल रहे ये वैज्ञानिक संस्थान के निदेशक डॉ. अमित पांडे के निर्देशन में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नीतू शाही ने अपने सहयोगी वैज्ञानिक डॉ. सुमंत मलिक, डॉ. सुरेश चंद्रा, डॉ. कृष्णा काला और भूपेंद्र सिंह के साथ ट्राउट मछली पर शोध के दौरान यह खोज की है।







