Wednesday, November 5, 2025
advertisement
Homeखास खबरबॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा-यह अस्वीकार्य अवैध निर्माण पर कार्रवाई न करना सरकार...

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा-यह अस्वीकार्य अवैध निर्माण पर कार्रवाई न करना सरकार की दोहरी नीति

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि राज्य की यह दोहरी नीति स्वीकार नहीं की जा सकती जिसमें अवैध निर्माण करने वाले बिल्डरों पर कार्रवाई नहीं की जाती, बल्कि उन्हें सुरक्षा भी दी जाती है। कोर्ट ने पालघर जिले में बने एक अवैध ढांचे को तोड़ने का आदेश दिया है। मामले में न्यायमूर्ति ए. एस गडकरी और न्यायमूर्ति कमल खता की पीठ ने कहा कि कानून के रखवालों की निष्क्रियता की वजह से अवैध निर्माण होते हैं, जिससे समाज में असंतोष और अशांति फैलती है। कोर्ट ने अपने 17 जून के आदेश में कहा, ‘हम देख रहे हैं कि स्थानीय प्रशासन, नगर पालिकाएं और अन्य संबंधित अधिकारी सिर्फ नोटिस देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेते हैं। उसके बाद न तो ढांचे तोड़े जाते हैं और न ही दोषियों पर केस दर्ज होता है।’

बिल्डरों से पैसे की वसूली सपना बन जाती है
कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में अवैध निर्माण करने वाले बिल्डरों से पैसे की वसूली एक दूर का सपना बन जाती है और मुकदमे का निपटारा दशकों तक लटकता रहता है। कोर्ट ने कहा कि अब तक इन अवैध निर्माणों के लिए जिम्मेदार बिल्डर, अफसर और पुलिस कोई सजा नहीं पा रहे हैं, जिससे सिस्टम में जवाबदेही की भावना खत्म हो रही है।

कानून का डर खत्म हो रहा है
कोर्ट ने आगे कहा कि, ऐसे मामलों में बार-बार देखा गया है कि पहले बिना अनुमति के निर्माण किया जाता है, फिर उसे वैध कराने के लिए आवेदन दिया जाता है। यह साफ तौर पर कानून का मजाक उड़ाने जैसा है’।

पालघर के मामले पर आया यह आदेश
यह आदेश एक याचिका पर आया, जिसमें याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि पालघर में तीन लोगों ने उसके प्लॉट पर बिना अनुमति के निर्माण कर लिया है। नगर निगम ने नोटिस तो दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की।

वसई-विरार नगर निगम को फटकार
कोर्ट ने वसई-विरार नगर निगम को न केवल अवैध निर्माण गिराने का आदेश दिया, बल्कि इस निर्माण के लिए जिम्मेदार लोगों पर आपराधिक मुकदमा भी दर्ज करने को कहा। इसके अलावा कोर्ट ने वसई-विरार नगर निगम के कमिश्नर को यह भी आदेश दिया कि जो अधिकारी इस अवैध निर्माण पर कार्रवाई नहीं कर पाए, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। इससे यह संदेश जाएगा कि कानून का पालन करना जरूरी है। कोर्ट ने आखिरी में कहा, ‘हमारे शहरों में जितने वैध निर्माण हैं, लगभग उतने ही अवैध निर्माण भी हैं। राज्य की यह नीति, जिसमें अवैध निर्माणकर्ताओं को अप्रत्यक्ष रूप से संरक्षण दिया जा रहा है, पूरी तरह अस्वीकार्य है।’

spot_img
spot_img
spot_img
RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine
https://bharatnews-live.com/wp-content/uploads/2025/10/2-5.jpg





Most Popular

Recent Comments