उत्तरकाशी। चीन सीमा पर स्थित नेलांग गांव में बुधवार से मोबाइल की घंटी बजने लगी है। अभी तक नेलांग क्षेत्र में संचार की कोई सुविधा नहीं थी, जिससे आईटीबीपी और सेना के जवान सैटेलाइट फोन के जरिए अपने परिजनों से संपर्क करते थे, जिसकी कॉल दर काफी महंगी पड़ती थी। नेलांग में बीते दो अक्टूबर से बीएसएनएल के टावर ने काम करना शुरू कर दिया है. इसके लिए आईटीबीपी के हिमवीर और सेना के जवानों ने बीएसएनएल का आभार जताया है।
इन गांवों में पर्यटन गतिविधि शुरू करने की तैयारी। उत्तरकाशी जिले में चीन सीमा पर स्थित नेलांग और जादूंग गांव को साल 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान खाली करा दिया गया था। अब फिर से इन गांवों में यहां के मूल निवासियों को बसाने के कवायद चल रही है। जादूंग में छह होम स्टे बनाने का काम चल रहा है। साथ ही इन गांवों में पर्यटन गतिविधि भी शुरू करने की तैयारी है।
नौ स्थानों पर आईटीबीपी और सेना की चौकियां। नेलांग व जादूंग सहित नौ स्थानों पर आईटीबीपी और सेना की चौकियां हैं, जहां वर्षभर आईटीबीपी और सेना के जवान तैनात रहते हैं। शीतकाल के दौरान भारी बर्फबारी के कारण इन चौकियां का जिला मुख्यालय से संपर्क भी कट जाता है। सैटेलाइट फोन का उपोयग केवल सेना और आईटीबीपी के कार्यालय में हो पाता है। अब आईटीबीपी, सेना, पर्यटक और ग्रामीणों की सुविधा के लिए नेलांग में मोबाइल सेवा संचालित हो चुकी है। अभी चीन सीमा पर स्थित जादूंग, नीला पानी, सोनम, पीडीए और नागा त्रिपानी क्षेत्र में छह टावर और लगाए जाने हैं।
टावर के लिए स्थान का चयन। भारत संचार निगम लिमिटेड टिहरी के सहायक महाप्रबंधक अनीत कुमार ने बताया कि जादूंग में मोबाइल टावर लगाने की कवायद चल रही है। बीएसएनएल ने इसके लिए स्थान भी चिह्नित कर लिया है। उन्होंने कहा कि अन्य चौकियों के क्षेत्र में भी टावर के लिए स्थान का चयन किया जा रहा है।







