सुशीला तिवारी अस्पताल में तैनात उपनल की महिला कर्मचारी की ओर से मरीजों के पंजीकरण का प्रतिदिन का पैसा जमा नहीं किया जा रहा था। शिकायत मिलने के बाद प्राचार्य की ओर से वित्त नियंत्रक को मामले की जांच सौंपी गई। इस बीच महिला कर्मी को हटा दिया था और पंजीकरण प्रभारी और सहायिका को प्राचार्य कार्यालय में अटैच कर दिया गया। सुशीला तिवारी राजकीय मेडिकल कॉलेज में फरवरी में उजागर हुए लाखों के गबन की जांच पूरी हो गई है।
पंजीकरण विभाग में कार्यरत महिला उपनल कर्मी को मुख्य आरोपी और पंजीकरण प्रभारी, सहायक महिला कर्मी को भी जांच अधिकारी ने दोषी माना है। उपनल कर्मी ने बिल की 946 रसीदें और 7, 57,867 लाख रुपये जमा नहीं किए थे। जांच अधिकारी की ओर से उपनल महिला कर्मी को सरकारी धन के गबन और लापरवाही का मुख्य दोषी पाया गया है। इसके अलावा घपले की जानकारी रखने वाली पंजीकरण प्रभारी और सहायक महिला कर्मी को दोषी माना गया है।







