Sunday, September 21, 2025
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दिल्ली सरकार के दो अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज

इन अधिकारियों पर शिकायत वापस न लेने पर एनजीओ के पदाधिकारियों को फंसाने और धमकाने का भी आरोप लगाया गया है। साथ ही एनजीओ के कार्यालय से 63 हजार रुपये लूटने का भी आरोप लगा है। एससी-एसटी का मामला देखते हुए इसे रेगुलर पुलिस को हस्तांतरित कर दिया गया है। द प्लीसेंट वैली फाउंडेशन के संयुक्त सचिव विपिन कुमार आर्य की ओर से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में वाद दायर किया गया था। इसमें कहा गया है कि उनका संगठन दिल्ली में पंजीकृत हैं। वह यहां अल्मोड़ा जिले के ग्राम डाडाकांडा में धमार्थ विद्यालय चलाते हैं जिसमें संगठन का कार्यालय भी है। उनके संगठन ने दिल्ली सरकार के प्रमोटी अधिकारी राजशेखर निवासी एचआइजी फ्लेट्स मोतिया खान दिल्ली के खिलाफ केंद्रीय सतर्कता आयोग में 11 दिसंबर 2023 को शिकायत दर्ज कराई थी। आरोप है कि विभिन्न घोटालों को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय और गृहमंत्री समेत विभिन्न अधिकारियों को भेजी गई शिकायत वापस लेने के लिए नरेश कुमार और राजशेखर ने उन पर दबाव बनाया।

यह भी आरोप
एनजीओ का आरोप है कि14 फरवरी को दोनों अधिकारियों ने चार व्यक्तियों को दिल्ली से डाडाकांडा भेजा। दिल्ली से आए व्यक्तियों ने एनजीओ के संयुक्त सचिव को धमकी दी कि यदि शिकायतों को वापस नहीं लिया तो संगठन के पदाधिकारियों के खिलाफ कई झूठे मामले दर्ज किए जाएंगे। उन्होंने पीड़ित के संगठन के नाम पर बने कागज और शपथपत्र पर हस्ताक्षर लेने की कोशिश भी की। जब पीड़ित ने इसका विरोध किया तो कार्यालय में तोड़फोड़ की गई। जबरन कई फाइलें, रिकॉर्ड, दस्तावेज और पेन डाइव लूट ली गई, जिसमें उनके विभिन्न घोटालों और भ्रष्टाचार के सबूत थे।

इन धाराओं में दर्ज हुआ केस
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दया राम ने द प्लीसेंट वैली फाउंडेशन के संगठन सचिव वीके आर्य उर्फ विपिन कुमार आर्य के प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए राजस्व उपनिरीक्षक क्षेत्र गोविंदपुर को नरेश कुमार और राजशेखर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना करने के आदेश दिए थे। न्यायालय के आदेश पर गोविंदपुर राजस्व पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 392, 447,120 बी, 504 के साथ एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया है।

राजस्व पुलिस और पुलिस प्रशासन से भी की गई थी शिकायत
पीड़ित का यह भी आरोप है कि इस घटना की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए पटवारी क्षेत्र गोविंदपुर, अल्मोड़ा को प्रार्थना पत्र दिया गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। डीएम और एसएसपी को भी ऑनलाइन माध्यम से शिकायत भेजी गई। कोई कार्रवाई न होने पर उत्तराखंड के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव को भी शिकायत भेजी गई मगर यहां भी कोई सुनवाई नहीं हुई।

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