नैनीताल। हाईकोर्ट ने संस्कृत विवि हरिद्वार के रजिस्टार की नियुक्ति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 19 मई को होगी। मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र एवं न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। लोकसभा से सेवानिवृत्त सुरेश चंद्र ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की। इसमें संस्कृत विवि हरिद्वार के रजिस्ट्रार की नियुक्ति को चुनौती देते हुए कहा कि इन्होंने तथ्यों को छिपाकर नौकरी पाई है और वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। इससे संस्थान को नुकसान हो रहा है। याचिका में कहा गया कि पूर्व में वह जीबी इंजीनियरिंग कॉलेज घुडदौडी पौडी में तैनात थे।
वहां पर रजिस्टार के तौर पर इनकी योग्यता को हाईकोर्ट ने एक अन्य मामले में निरस्त कर दिया था। इसके बाद इनको सहायक रजिस्टार के पद पर वापस भेज दिया गया। इसके बावजूद इन्होंने तथ्यों को छिपाकर स्वयं को पौड़ी में रजिस्ट्रार के रूप में कार्यरत होना दिखाकर संस्कृत विवि हरिद्वार में रजिस्ट्रार के पद नियुक्ति प्राप्त कर ली जबकि वह पूर्व में भी रजिस्ट्रार के पद पर नहीं थे। संस्कृत विवि में रजिस्ट्रार रहते हुए इनके विरुद्ध हुई शिकायतों की जांच डॉ. आरएस सोढी से करवाई गई, जिन्होंने जांच रिपोर्ट एक बंद लिफाफे में संस्कृत विवि कार्य परिषद को सौंपी लेकिन विवि कार्य परिषद ने जांच रिपोर्ट के लिफाफे को न खोलने का निर्णय लिया और तीन सदसीय जांच कमेटी बना दी। कमेटी ने उन्हें क्लीन चिट दे दी। याचिका में कहा गया कि यह सब इनके दबाव में किया गया है।