किमोठा गांव के छात्र-छात्राओं के सामने पांचवीं के बाद की पढ़ाई मुसीबत से कम नहीं है। गांव के लिए सड़क नहीं होने से बच्चों को पहाड़ियों की चढ़ाई और खाई को पार कर विद्यालय जाना पड़ता है। सड़क नहीं होने का खामियाजा गांव के ग्रामीणों को भी भुगतना पड़ता है।साहिया से मात्र चार किलोमीटर दूर स्थित किमोठा गांव की आबादी दो सौ से अधिक है। यहां बच्चों की पढ़ाई के लिए एक राजकीय प्राथमिक विद्यालय है। इसमें पांचवीं तक की पढ़ाई होती है। इसके बाद की पढ़ाई के लिए बच्चों को साहिया आना पड़ता है। गांव के लिए सड़क नहीं होने से छात्र-छात्राओं को प्रतिदिन पैदल पहाड़ों की खड़ी चढ़ाई से गुजरना पड़ता है।
यह स्थिति तब है जब सड़क बनाने के लिए 2013-14 व 2021-22 में दो बार सर्वे हो चुका है। सड़क निर्माण की स्वीकृति मिल चुकी है, लेकिन अभी तक मामला ठंडे बस्ते में है।सड़क नहीं होने का खामियाजा गांव में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को भी भुगतना पड़ रहा है। किसी के बीमार होने की स्थिति में उसे अस्पताल तक लाने के लिए बांस व डंडों पर बांधकर लाने के अलावा कोई दूसरा चारा ग्रामीणों के पास नहीं है। इसके अलावा जरूरत के सामान कंधों व सिर पर उठाकर लाना पड़ता है। अपनी कृषि उपज को ढोकर साहिया मंडी पहुंचाना पड़ता है।