Wednesday, November 5, 2025
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उत्तराखंड में फिर फटा बादल घरों-दुकानों में घुसा पानी लोगों ने खाली किए घर उत्तरकाशी में उफान पर नाला

उत्तरकाशी जनपद के नौगांव बाजार के स्योरी फल पट्टी में बादल फटने से भारी नुकसान हुआ है। एक आवासीय भवन गदेरे के मलबे में दब गया। आधा दर्जन से भी अधिक भवनों में पानी भर गया है। देवलसारी गदेरे में एक मिक्चर मशीन और कुछ दुपहिया वाहनों के बहने की भी सूचना है। एक कार भी मलबे में दब गई है। खतरे को देखते हुए कई लोग अपने घर खाली कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं।

पहले खबर थी अतिवृष्टि की
इससे पहले खबर आ रही थी कि नौगांव के बीच बहने वाला नाला अतिवृष्टि के कारण उफान पर आया है। जिसके कारण कई दुकानों और घरों में पानी घुस गया। वहीं सड़क पर खड़े कई दोपहिया वाहन बह गए।

चार पर्वतीय जिलों में भूकंप से भूस्खलन का बड़ा खतरा
उत्तराखंड के चार पर्वतीय जिलों में भूकंप से भूस्खलन का बड़ा खतरा है। इनमें रुद्रप्रयाग सबसे अधिक संवेदनशील है। पहली बार आईआईटी रुड़की के आपदा प्रबंधन और मानवीय सहायता उत्कृष्टता केंद्र के विशेषज्ञों ने जिलावार अध्ययन करके भूकंप से भूस्खलन के खतरों पर शोध रिपोर्ट जारी की है जो दो अगस्त को ही अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुई है।

एक बाद पहले मची थी तबाही
बता दें कि उत्तरकाशी जनपद के धराली गांव में एक महीने पहले 5 अगस्त को बादल फटने से खीरगंगा में भयंकर बाढ़ आई थी। जिसमें चार लोगों की मौत हुई थी। जबकि कई लोगों के मलबे में दबे होने की सूचना थी। इसके अलावा इससे कई होटलों व घरों को भी भारी हानी हुई थी।

IIT रुड़की के विशेषज्ञों ने रिपोर्ट ने बढ़ाई टेंशन
उत्तराखंड के चार पर्वतीय जिलों में भूकंप से भूस्खलन का बड़ा खतरा है। इनमें रुद्रप्रयाग सबसे अधिक संवेदनशील है। पहली बार आईआईटी रुड़की के आपदा प्रबंधन और मानवीय सहायता उत्कृष्टता केंद्र के विशेषज्ञों ने जिलावार अध्ययन करके भूकंप से भूस्खलन के खतरों पर शोध रिपोर्ट जारी की है जो दो अगस्त को ही अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हुई है।

हिमालयी क्षेत्र भूकंपीय गतिविधियों के लिहाज से बेहद संवेदनशील
आईआईटी रुड़की के अक्षत वशिष्ठ, शिवानी जोशी और श्रीकृष्ण सिवा सुब्रमण्यम ने यह शोध किया है। उन्होंने बताया है कि हिमालयी क्षेत्र भूकंपीय गतिविधियों के लिहाज से बेहद संवेदनशील है। यहां आए दिन भूस्खलन की घटनाएं सामने आती रहती हैं। उन्होंने यह चेतावनी दी है कि भूकंप से प्रेरित भूस्खलन भविष्य में उत्तराखंड के लिए और भी बड़े खतरे का कारण बन सकते हैं।

पहली बार अलग-अलग जिलों भूस्खलनों के जोखिम की जिला-स्तरीय जोनिंग की गई
अध्ययन में पहली बार उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों में भूकंप से होने वाले भूस्खलनों के जोखिम की जिला-स्तरीय जोनिंग की गई है। इसमें अलग-अलग भूकंपीय तीव्रता परिदृश्यों और भूकंप की वापसी अवधि के आधार पर जोखिम का विश्लेषण किया गया। रुद्रप्रयाग जिला सभी परिदृश्यों में सबसे ज्यादा संवेदनशील पाया गया है। इसके बाद पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी जिलों में भारी भूस्खलन की आशंका जताई गई है।

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