Friday, November 7, 2025
advertisement
Homeउत्तराखण्डटिहरी में बादल फटा दो मंदिर मलबे में दबे भारी मात्रा में...

टिहरी में बादल फटा दो मंदिर मलबे में दबे भारी मात्रा में आया मलबा भागीरथी का प्रवाह रुकने से बनी झील

भिलंगना ब्लॉक के सीमांत क्षेत्र गेंवाली में शुक्रवार तड़के बादल फटने से भारी तबाही हुई है। इस प्राकृतिक आपदा से गांव में निजी और सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया है, हालांकि गनीमत रही कि किसी भी ग्रामीण को कोई चोट नहीं आई। मलबा और बोल्डर बहकर आने से भागीरथी नदी के प्रवाह को भी प्रभावित किया है। जिससे लगभग 100 मीटर तक एक झील बन गई है। शुक्रवार तड़के करीब तीन बजे जब ग्रामीण सो रहे थे तभी गांव के ऊपर से एक तेज आवाज आई, जिसने लोगों को दहशत में डाल दिया। ग्रामीणों ने बताया कि यह आवाज बादल फटने के कारण गदेरे (छोटी नदी) में आए मलबे और बोल्डर की थी। जब सुबह अंधेरा छटा तो तबाही का मंजर सामने आया। आपदा की चपेट में आने से एक गोशाला पूरी तरह से मलबे में दब गई। जिसके अंदर बंधी दो गाय भी मर गईं। गांव के पास स्थित शिव और भैरव मंदिर भी मलबे की भेंट चढ़ गए। उनका केवल ऊपरी हिस्सा ही दिखाई दे रहा है। ग्रामीणों की कई नाली कृषि भूमि तबाह हो गई है। इसके साथ ही पेयजल लाइनें, विद्युत लाइनें, पैदल रास्ते, पेयजल स्रोत और पुलिया भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं।

राहत और बचाव कार्य में बाधा
आपदा की सूचना मिलने के बाद राहत एवं बचाव टीम नुकसान का जायजा लेने के लिए गेंवाली के लिए रवाना हुई लेकिन जखाणा से आगे नहीं बढ़ पाई। जखाणा में नदी उफान पर होने और जखाणा-गेंवाली रोड तीन जगहों पर कट जाने के कारण टीम को वहां पहुंचने में काफी दिक्कतें आ रही हैं। एसडीएम संदीप कुमार ने बताया कि टीम ग्रामीणों के संपर्क में है और गांव में सभी लोग सुरक्षित हैं।

भूवैज्ञानिकों ने गांव के विस्थापन की बात कही थी
पूर्व प्रधान बचन सिंह रावत, कुंदन सिंह और कीर्ति सिंह ने बताया कि शुक्रवार सुबह करीब 500 मीटर ऊपर गरखेत नामक तोक में बादल फटा। गनीमत यह रही कि गदेरा गांव से थोड़ी दूर था जिससे गांव तो बच गया, लेकिन खेती-बाड़ी और अन्य सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान हुआ। ग्रामीणों ने बताया कि 2012-13 की आपदा के समय भूवैज्ञानिकों ने गांव के विस्थापन की बात कही थी, लेकिन तब से कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

संचार की समस्या
गेंवाली गांव में मोबाइल कनेक्टिविटी की समस्या है। पूर्व प्रधान ने बताया कि गांव के एक व्यक्ति को तहसील प्रशासन को सूचना देने के लिए आधा किलोमीटर दूर जाना पड़ा। ग्रामीण वर्षों से संचार सुविधा की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। गांव में 65 से अधिक परिवार रहते हैं और वे लगातार आपदा के डर में जी रहे हैं। उन्होंने शासन-प्रशासन से गांव की सुरक्षा के लिए स्थायी उपाय करने की मांग की है।

आसपास के क्षेत्रों में भी नुकसान
गेंवाली में बादल फटने से बालगंगा और भिलंगना नदी का जलस्तर बढ़ गया जिससे अन्य क्षेत्रों में भी नुकसान हुआ है। बूढ़ाकेदार नदी के उफान पर आने से बूढ़ाकेदार में कई मकानों को खतरा पैदा हो गया है और एक शौचालय नदी में समा गया। सुमार्थ गांव में एक मकान खतरे की जद में आ गया है, जिससे परिवार को सुरक्षित स्थान पर भेजा गया है। एक मवेशी भी मलबे में दब गया। ठेला गांव में एक पैदल पुलिया और सिंचाई नहर क्षतिग्रस्त हो गई है। इधर, चकरेड़ा में पांच परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। नैलचामी में एक भैंस मलबे में दब गई। ठेला, कुरालगाड़, चकरेड़ा, सरोली, धरगांव छपरगाढ़, घरगांव और जुकानी गांव की पेयजल योजनाएं भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं। वहीं गवाणा तल्ला में गांव की कई हेक्टेयर कृषि भूमि बाढ़ की भेंट चढ़ गई है। ग्राम प्रधान सीता शाह ने बताया कि गांव को जोड़ने वाला पैदल पुल भी खतरे में है।

spot_img
spot_img
spot_img
RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine
https://bharatnews-live.com/wp-content/uploads/2025/10/2-5.jpg





Most Popular

Recent Comments