दिल्ली पुलिस के एक सिपाही ने यूट्यूब से सीखकर हिम्मत के दम पर आग की लपटों में फंसे 16 परिवारों को नया जीवन दिया है। फायर ब्रिगेड और पीसीआर के पहुंचने से पहले पहुंचे बीट स्टाफ के सिपाही अनिल ने सूझबूझ से यह सब कर दिखाया।मोहन गार्डन इलाके में 20 दिसंबर की रात करीब 9:39 बजे एक चार मंजिला इमारत में सिलिंडर फटने की सूचना पीसीआर कॉल के जरिए पुलिस को मिली। फायर ब्रिगेड और पीसीआर के पहुंचने से पहले बीट स्टाफ में तैनात सिपाही अनिल मौके पर पहुंच गए। उन्होंने इमारत में रह रहे 16 मासूम परिवारों को आग से मुंह से बचाया। हालात बेहद खतरनाक थे और सभी लोगों को तुरंत बाहर निकालना संभव नहीं था। ऐसे मुश्किल समय में सिपाही अनिल ने अपनी जान की परवाह किए बिना अकेले ही जलते हुए सिलिंडर को किचन से बाहर निकाला और गीले कपड़े से आग पर काबू पाया। सिपाही अनिल ने यह साबित कर दिया कि पुलिस की वर्दी सिर्फ कपड़ा नहीं होती, बल्कि जिम्मेदारी, साहस और इंसानियत की पहचान होती है।
बहादुरी की मिसाल बने सिपाही अनिल
द्वारका पुलिस उपायुक्त अंकित सिंह ने सराहना करते हुए बताया कि यह दिल्ली पुलिस के जवान की सहज प्रवृत्ति और दिलेरी को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे पुलिसकर्मी दिल्ली पुलिस के लिए गर्व का कारण हैं। सिपाही अनिल ने अपने साहसिक कार्य को लेकर कहा कि अगर हम फायर ब्रिगेड का इंतजार करते तो कोई बड़ी घटना घट सकती थी। मैंने वही किया, जो मेरा फर्ज था। उन्होंने बताया कि आग बुझाने के लिए उन्होंने कोई स्पेशल ट्रेनिंग नहीं ली है। वह आग बुझाने के लिए कई बार यूट्यूब पर वीडियो देख चुके हैं। सिपाही अनिल ने बताया कि मैंने उस दिन अपना अनुभव इस्तेमाल किया। आज मेरा परिवार बेहद गर्व महसूस कर रहा है।घटना की रात स्थानीय लोगों की आंखों में डर के साथ-साथ राहत और शुक्रगुजारी के आंसू भी थे। इमारत में रहने वाली एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि अगर सिपाही उस वक्त नहीं आते, तो शायद आज हम यहां न होते।







