दून अस्पताल के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अंकुर पांडेय ने बताया कि एलएसडी लेना इतना नुकसानदायक है कि व्यक्ति का नर्वस सिस्टम फेल हो सकता है। एलएसडी के सेवन से दिमाग में अजीब ख्याल आने लगते हैं। कई बार खुद पर कंट्रोल भी खत्म हो जाता है। इस स्थिति में सेवन करने वाला व्यक्ति आत्महत्या जैसे कदम उठा सकता है। यह ऐसा मादक पदार्थ है जिसमें सिंथेटिक केमिकल होता है। यह सेहत के लिए बहुत ही खतरनाक होता है।
प्रेमनगर में रविवार को 2058 ब्लॉट्स एलएसडी (लिसेर्जिक एसिड डायथाइलैमाइड) बरामद हुआ है। उत्तराखंड में इस नशे की एंट्री के बाद डॉक्टरों ने युवाओं को चेताया है। उनके मुताबिक एलएसडी के साइडइफेक्ट लंबे समय तक रह सकते हैं। इसके सेवन करने वाले की सोचने-समझने की क्षमता प्रभावित होती है। इसका असर सेवन के 15 से 20 मिनट में शुरू हो जाता है। अगर कोई व्यक्ति इसका ज्यादा नशा कर रहा है तो अचानक से हार्ट बीट बढ़ सकती है, जिससे अटैक आने का खतरा रहता है। लोगों को घबराहट, मन में डर, तेज पसीना आने की समस्या हो जाती है। ये सभी लक्षण दिल का दौरा पड़ने का कारण बन सकते हैं, जिससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।
भ्रम की स्थिति भी हो सकती है
डॉ. अंकुर ने बताया कि किसी भी तरह का नशा व्यक्ति की मानसिक स्वास्थ्य पर खतरनाक असर डालता है। एलएसडी की वजह से भी एंग्जाइटी, डिप्रेशन जैसी समस्या हो सकती है। इसके अधिक सेवन से व्यक्ति भ्रम की स्थिति में भी जा सकता है।
शॉर्ट टर्म साइडइफेक्ट
नींद न आना, भूख कम लगना, मुंह सूखना, पसीना आना, हाथों-पैरों में झनझनाहट व कंपकंपी, कमजोरी महसूस होना आदि।
लॉन्ग टर्म साइडइफेक्ट
आंखों से धुंधला दिखना, अलग-अलग रंग और आकार में चीजें दिखना, हाथ-पैर में हल्का या भारीपन लगना, मूड बदलना, बहुत शांति का अनुभव करना या सपनों में जाना, किसी बात की कोई फिक्र न होना और एंग्जायटी होना, घबराहट होना, लगातार बदलते विचार, सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाना आदि।