लखवाड़ बांध परियाेजना का निर्माण शुरू होने के बाद से बांध स्थल ग्राम पाली में स्थित घर-मकान, सार्वजनिक मार्ग व खेत खलिहानों में आ रही दरारों की जांच केंद्रीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक परिषद (सीएसआईआर) ने शुरू कर दी है। जांच को पहुंची वैज्ञानिकों टीम ने मौका मुआयना करने के साथ घरों में आई दरारों पर विशेष प्रकार के उपकरण लगाने के साथ खेतों की मिट्टी के नमूने भी एकत्रित किए।क्षेत्र की प्रमुख लखवाड़-व्यासी जल विद्युत परियोजना के लिए बन रहे लखवाड़ बांध का निर्माण शुरू होने के साथ ही ग्राम पाली स्थित भवन व रास्तों में दरार आने लगी थीं। इसके साथ ही खेतों में भी दरार आने या भूस्खलन की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। पाली-कंडरियाज विकास समिति ने दरार संबंधी समस्या को जलविद्युत निगम से लेकर प्रदेश सरकार उठाया। समिति का आरोप है कि बांध के निर्माण के लिए पहाड़ तोड़ने के लिए उपयोग किए जा रहे विस्फोटकों से भवन व खेत-खलिहानो में दरार आ रही हैं।
समस्या को लेकर लगातार ग्रामीणों के मुखर रहने के बाद केंद्रीय वैज्ञानिक एवं औद्योगिक परिषद की टीम ने गांव का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने दरारों की समस्या का गहनता से निरीक्षण करने के साथ भवनों में आई दरारों पर विशेष प्रकार के उपकरण लगाए। इसके साथ ही टीम ने भूस्खलन व दरार की समस्या से प्रभावित खेतों की मिट्टी के नमूने भी आवश्यक जांच के लिए एकत्रित किए।समिति के अध्यक्ष जोध सिंह रावत व कोषाध्यक्ष सरदार सिंह ने बताया कि भवनों में उपकरण लगाए जाने के बाद से निर्माण कंपनी कम शक्ति वाले विस्फोटकों का प्रयोग कर रही है। जबकि इसके पहले सुरंग बनाने व पहाड़ तोड़ने के लिए बेहद खतरनाक विस्फाटकों का इस्तेमाल किया जा रहा था। समिति ने सरकार से ग्रामीणों के घर-मकान व अन्य संपत्तियों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने की मांग की है। जांच करने वाली टीम में मुख्य वैज्ञानिक डॅ. मनोजीत समाला, शशांक भटनागर, डाॅ. सुमन कुमार, मनीष, हेमंत कुमार, वैभव मित्तल शामिल रहे। इस दौरान पुष्कर सिंह, अजीत, प्रदीप सिंह रावत, शुभम रावत, आदेश चौहान आदि ग्रामीण भी उपस्थित रहे।