यदि सड़क बन जाती तो 30 से अधिक गांवों के लोगें को मिलती सुविधाबीस साल से हईया-अलसी-सकनी मोटरमार्ग देऊ गांव से नहीं जुड़ सका है। छह साल पहले सड़क बनाने की स्वीकृति मिली थी। लेकिन, उसके बाद से फाइल ठंडे बस्ते में है। गांव तक सीधा रास्ता नहीं होने से ग्रामीणों को काफी फेर लगाना पड़ता है। इससे समय और पैसा दोनों का नुकसान होता है।जौनसार बावर के खत विशायल व खत शिलगांव के तीस से अधिक गांवों के लगभग पांच हजार ग्रामीण 20 साल से हईया-अलसी-सकनी मोटरमार्ग को देऊ गांव से जोड़ने की मांग करते आ रहे है। मौजूदा समय में ग्रामीणों को पजिटीलानी होते हुए यात्रा पूरी करनी पड़ रही है।
ग्रामीणों की मांग पर छह साल पहले लगभग छह किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण के प्रस्ताव को स्वीकृति मिली थी। उस समय लोगों को उम्मीद जगी थी कि मार्ग बन जाने से उन्हें आवागमन में सहूलियत मिलेगी, लेकिन फाइल आगे नहीं बढ़ी। अब लोगों की आशाएं धूमिल होती दिखाई दे रही हैं।स्थानीय निवासी कृपाराम शर्मा, मातबर सिंह पंवार, जवाहर सिंह आदि का कहना है कि सड़क बन जाने से क्षेत्र के निवासियों को पजिटीलानी होकर जाने की मजबूरी नहीं रहेगी। इसके साथ ही सीधा रास्ता मिलने से क्षेत्र के किसान अपनी फसलों को आसानी से साहिया और विकासनगर मंडियों तक ले जा सकेंगे।
सड़क से लाभान्वित होने वाले गांव
सड़क बन जाने से क्षेत्र के ग्राम अलसी, सकनी, कनबुआ, ककाड़ी, देऊ, डांडा, देसोऊ, रुपोऊ, डिमोऊ, पंजिया, सैरी, निछिया, धोईरा, भंजरा, कपाणी, अतलेऊ, पियाणी आदि 30 से अधिक गांव सीधे जुड़ते हैं।शासन से सड़क के निर्माण की स्वीकृति मिली थी, लेकिन सर्वे का आदेश नहीं मिलने से फाइल आगे नहीं बढ़ पाई। इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। – रचना थपलियाल, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग अस्थाई खंड साहिया।
वर्षों से चली आ रही ग्रामीणों की मांग शासन स्तर पर लंबित चल रही है। सड़क का निर्माण जल्द हो जाता तो ग्रामीणों को काफी सहूलियत मिलती। – कृपा राम शर्मा, अध्यक्ष खत सिलगांव मंदिर समिति
देऊ गांव तक सड़क बन जाती तो ग्रामीणों फेरा नहीं लगाना पड़ता। पिछले काफी समय से सड़क बनने का इंतजार हैं। जल्द सड़क का निर्माण होना चाहिए। – अरविंद सिंह चौहान निवासी देऊ