विकासनगर। जौनसार बावर क्षेत्र अपनी अनूठी परंपरा और धार्मिकता के लिए जाना जाता है। आज दशहरा पर्व पर कनबुआ स्थित शिलगुर और बिजट देवता मंदिर से श्रद्वालुओं के दर्शनों के लिए विधिपूर्वक देव चिन्हों और देव डोलियों को मंदिर परिसर में रखा गया। इसी बीच श्रद्धालुओं का भारी सैलाब उमड़ा। सभी श्रद्धालुओं ने दर्शन कर सुख समृद्धि की दुआ मांगी।
देव दर्शन से लोगों की मन्नत होती है पूरी। मंदिर के वजीर शांति सिंह पंवार ने कहा कि कनबुआ गांव में दादा के समय शिलगुर देवता का मंदिर एक मंजिल में था। समय के साथ बिजट देवता मंदिर का विकास हुआ और मंदिर को तीन मंजिला बनाया गया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सहित दिल्ली, हरियाणा और पंजाब समेत अन्य राज्यों से श्रद्धालु देव दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। लोगों की शिलगुर और बिजट देवता के प्रति अटूट आस्था है। मान्यता है कि लोगों की मन्नत देव दर्शन कर पूरी होती है।
हिमाचल के सराह और चूड़धार में भी है शिलगुर और बिजट देवता मंदिर। देवता के पुजारी दाता राम शर्मा ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि के नाम से विश्व विख्यात है. यहां जगह-जगह देव मंदिर स्थापित हैं। यहीं से मां गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदियों का उद्गम हुआ है। पहले से हम लोग शिलगुर और बिजट देवता की पूजा करते आए हैं। देवताओं के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। उन्होंने कहा कि शिलगुर और बिजट देवता का मुख्य मंदिर हिमाचल प्रदेश के सराह और चूड़धार में है। जबकि जौनसार बावर में शिलगुर और बिजट देवता के मुख्य मंदिर शिमोग और कनबुआ गांव में स्थित हैं।