Sunday, September 21, 2025
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सर्जरी कर डॉक्टरों ने बचाया युवक का जीवन

जन्म से ही हृदय संबंधी जटिल बीमारी से जूझ रहे युवक का जीवन बचाने में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश के चिकित्सकों ने सफलता पाई है। युवक के दिल के वाल्व में खराबी के कारण महाधमनी का आकार बढ़ गया था। चिकित्सकों ने बेंटल सर्जरी के माध्यम से इसका सफल उपचार किया है।सीटीवीएस विभाग के शल्य चिकित्सक डाॅ. अनीश गुप्ता ने बताया कि रोगी की दिल्ली के एक अस्पताल में कोक्रटेशन ऑफ एओर्टा की सफल स्टेंटिंग हो चुकी थी। बिहार निवासी यह रोगी एक इंजीनियरिंग कॉलेज का छात्र है। जिसका वजन 103 किलो है। डाॅ. अनीश ने बताया कि आमतौर पर आरोही महाधमनी (एओर्टा) का आकार 5-8 सेमी लंबा और 3-4 सेमी चैड़ा होता है। महाधमनी के 5.5 सेमी आकार के बाद फटने का खतरा बन जाता है। डॉ. अनीश ने बताया कि बेंटल ऑपरेशन में दिल से निकलने वाली महाधमनी (एओर्टा) को बदल दिया जाता है और एओर्टिक वाल्व भी बदला जाता है। सफल सर्जरी के बाद रोगी को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।उन्होंने बताया कि 20 दिनों के भीतर उन्होंने बिहार लौटकर फिर से कॉलेज ज्वाइन कर लिया है। यह पहला मामला है जब किसी 103 किलो वजनी मरीज की राज्य के किसी सरकारी स्वास्थ्य संस्थान में बेंटल सर्जरी को सफलता पूर्वक अंजाम दिया गया है। एम्स निदेशक प्रो. मीनू सिंह, सीटीवीएस विभागाध्यक्ष डाॅ. अंशुमान दरबारी और यूनिट इंचार्ज डॉ. नम्रता गौड़ ने सर्जरी करने वाली टीम की प्रशंसा की है।

क्या है एओर्टिक एन्यूरिज्म
महाधमनी धमनी विस्फार (एओर्टिक एन्यूरिज्म) एक गंभीर बीमारी है, जिसमें शरीर की सबसे बड़ी धमनी यानी महाधमनी की दीवार कमजोर होकर उभार या सूजन आ जाती है। महाधमनी धमनी विस्फार आमतौर पर धीरे-धीरे बढ़ता है और कभी-कभी फट जाता है। जब यह फटता है तो इससे जानलेवा आंतरिक रक्तस्राव हो सकता है।

क्या है बेंटल सर्जरी
बेंटल सर्जरी महाधमनी वाल्व को बदलने की एक प्रक्रिया है, जो हृदय से निकलने वाली मुख्य रक्त वाहिका है। महाधमनी वाल्व हृदय से शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करता है। बेंटल सर्जरी आमतौर पर तब की जाती है जब महाधमनी वाल्व क्षतिग्रस्त या रोगग्रस्त हो।

सफल सर्जरी करने वाली टीम में ये रहे शामिल
डॉ. अनीश गुप्ता के अलावा डॅ. दानेश्वर मीणा, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. अबीशो, डॉ. ईशान, डॉ. सावन शामिल रहे। वहीं एनेस्थेसिया विभाग के डाॅ. अजय कुमार, कार्डियोलाॅजी विभाग की डाॅ. भानु दुग्गल, डाॅ. यश श्रीवास्तव और नर्सिंग टीम का विशेष सहयोग रहा।

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