हमास के खिलाफ इस्राइल का अभियान लगातार जारी है। अब इस्राइली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने हमास के खिलाफ अपना नया ऑपरेशन गिदोन चैरिएट्स शुरू किया है। आईडीएफ प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल नदाव शोशनी ने एक वीडियो संदेश में नए ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी गई। लेफ्टिनेंट कर्नल शोशनी ने बताया कि आईडीएफ ने उत्तरी और दक्षिणी गाजा में ऑपरेशन को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि सात अक्तूबर के नरसंहार के बाद हमारा मिशन स्पष्ट है। हमारे बंधकों को वापस घर लाना और हमास की सैन्य और शासन क्षमताओं को नष्ट करना। पिछले सप्ताह इस्राइली वायु सेना ने हमास के 670 से ज्यादा ठिकानों, सुरंगों, हथियार स्थलों, टैंक रोधी इकाइयों पर हमला किया। उन्होंने कहा कि इस्राइली सैनिक अब गाजा में खतरों को खत्म करने, आतंकी ढांचे को नष्ट करने और प्रमुख क्षेत्रों पर नियंत्रण करने के लिए काम कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि हमारे मिशन के चार उद्देश्य हैं। पहला असंबद्ध नागरिकों को पहले से चेतावनी देना कि वह खतरे से दूर रहें। दूसरा युद्धक्षेत्र पर नियंत्रण, तीसरा इस्राइली नागरिकों की सुरक्षा करना और चौथा हमास के नेतृत्व और क्षमताओं को खत्म करना। कर्नल शोशनी ने कहा कि हमास के तमाम लड़ाकों को पहले ही मार गिराया जा चुका है। वायुसेना लगातार सटीक हमला कर रही है।उन्होंने बताया कि यह रातोरात समाप्त नहीं होगा। लेकिन हम तब तक लड़ेंगे जब तक हमास का खतरा खत्म नहीं हो जाता और हमारे बंधकों को रिहा नहीं कर दिया जाता। मिशन जारी है।
सीरिया से इस्राइल वापस लाए गए जासूस एली कोहेन के दस्तावेज
सीरिया में 60 साल पहले फांसी की सजा पाने वाली इस्राइली जासूस एली कोहेन से संबंधित दस्तावेज और व्यक्तिगत सामान वापस इस्राइल लाए गए हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि मोसाद ऑपरेशन से संबद्ध विदेशी खुफिया सेवा के सहयोग से एली कोहेन से संबंधित आधिकारिक सीरियाई अभिलेख को इस्राइल लाया गया। इसमें हजारों ऐसी जानकारियां थीं, जिन्हें सीरियाई सुरक्षा बलों ने दशकों से अपने पास रखा था। पीएमओ ने कहा कि विशेष अभिलेखागार में लगभग 2,500 मूल दस्तावेज, फोटोग्राफ और व्यक्तिगत वस्तुएं शामिल हैं। मिस्र में एक यहूदी परिवार में जन्मे कोहेन 1960 के दशक की शुरुआत में मोसाद में शामिल हुए और कामेल अमीन थाबेट के नाम से सीरिया के राजनीतिक नेतृत्व के शीर्ष पदों पर घुसपैठ की। चार वर्षों में उन्होंने जो खुफिया जानकारी हासिल की, उसे 1967 के छह दिवसीय युद्ध में इस्राइल की सफलता विशेष रूप से गोलान हाइट्स पर कब्जा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का श्रेय दिया जाता है।18 मई 1965 को कोहेन पर जासूसी के आरोप में सीरियाई सरकार ने मुकदमा चलाया और उन्हें फांसी दी गई। इस्राइल की विभिन्न सरकारों और मोसाद के वर्षों तक किए गए प्रयासों के बावजूद उनका शव कभी बरामद नहीं हो सका। पिछले दिनों इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और मोसाद निदेशक डेविड बार्निया के बीच बैठक के दौरान सीरिया में मौजूद कई मूल दस्तावेज और निजी वस्तुएं एली कोहेन की विधवा नादिया को भेंट की गईं।
पीएमओ के अनुसार, इनमें एली कोहेन द्वारा स्वयं अपनी फांसी से कुछ घंटे पहले लिखी गई मूल वसीयत भी शामिल है। उनके निजी सामान में दमिश्क में उनके अपार्टमेंट की चाबियां, पासपोर्ट और उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए झूठे दस्तावेज, तथा सीरिया में उनकी गुप्त गतिविधियों के दौरान की कई तस्वीरें मिलीं, जिनमें वरिष्ठ सीरियाई सरकारी और सैन्य अधिकारियों के साथ एली कोहेन के दस्तावेज भी शामिल हैं। सीरियाई खुफिया एजेंसियों द्वारा उनके घर से एकत्र की गई रजिस्ट्री और डायरियों में पाए गए कई अभिलेखों में अन्य बातों के अलावा वे मिशन भी मिले, जो उन्हें मोसाद से मिले थे और जिन्हें गुप्त रूप से पूरा किया जाना था, जिसमें एक लक्ष्य की निगरानी करने का अनुरोध और क्यूनेत्रा में सीरियाई सैन्य ठिकानों पर खुफिया जानकारी एकत्र करने का मिशन शामिल है। महत्वपूर्ण बात यह है कि बरामद किए गए कई दस्तावेजों में कोहेन को दी गई मूल सजा और फांसी देने का फैसला भी शामिल है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने एली कोहेन को एक महान व्यक्ति तथा राज्य के इतिहास में सबसे महान खुफिया एजेंट बताया। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा कि उनकी वीरता ने छह दिवसीय युद्ध में इस्राइल की जीत में योगदान दिया और कहा कि एली कोहेन अभिलेखागार पीढ़ियों को शिक्षित करेगा।