देहरादून।
“हौसले हों बुलंद, तो राहें खुद बन जाती हैं…” इस भावना को साकार किया देहरादून के युवाओं ने, जब उन्होंने देश की अब तक की सबसे बड़ी प्लास्टिक फ्री मैराथन का सफल आयोजन किया। अवसर था समाजसेवी संगठन ‘मेकिंग अ डिफरेंस बाय बीइंग द डिफरेंस (MAD)’ की 14वीं वर्षगांठ का, जिसे एक भव्य ‘मैडथॉन’ के रूप में मनाया गया।
रविवार सुबह परेड ग्राउंड से शुरू हुई इस विशेष मैराथन में लगभग 5000 युवाओं ने हिस्सा लिया, जिनका उद्देश्य सिर्फ दौड़ना नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और खत्म होती जलधाराओं की ओर समाज का ध्यान खींचना था। इस मैराथन की सबसे खास बात रही कि यह पूरी तरह से प्लास्टिक-मुक्त रही — न कहीं प्लास्टिक की बोतलें, न पैकेजिंग, न कोई रैपर।
समाज को झकझोरती पहल
इस आयोजन के माध्यम से युवाओं ने न केवल दौड़ लगाई, बल्कि जल संकट और विशेष रूप से देहरादून की रिस्पना-बिंदाल जैसी नदियों के सूखने पर समाज और शासन दोनों को चेताने का काम किया। “अगर हम नहीं, तो कौन?” की सोच के साथ निकले इन युवाओं ने यह स्पष्ट कर दिया कि पर्यावरण की रक्षा केवल सरकारी दायित्व नहीं, जनभागीदारी का भी प्रश्न है।
शहर की नदियों की कहानी बनी मंच की झलक
परेड ग्राउंड को विशेष रूप से सजाया गया था जहां देहरादून की प्रमुख नदियों — रिस्पना और बिंदाल — की कहानी को चित्रों, फ्लेक्स और नक्शों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। उनके उद्गम से लेकर गंगा में मिलने तक की यात्रा को रेखांकित किया गया।
शून्य प्लास्टिक उपयोग: एक उदाहरण
MAD के स्वयंसेवकों ने प्लास्टिक मुक्त आयोजन सुनिश्चित करने के लिए हर मोर्चे पर मेहनत की।
- सभी प्रचार बैनर पुराने कपड़ों पर स्वयं हाथ से बनाए गए।
- स्नैक्स और रिफ्रेशमेंट खुद स्वयंसेवकों ने अपने घरों में तैयार किए ताकि किसी भी तरह की प्लास्टिक पैकिंग से बचा जा सके।
यह कार्य केवल दौड़ नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और सामाजिक आंदोलन के रूप में सामने आया।
मुख्य अतिथि का संदेश
कार्यक्रम में देहरादून के मेयर सौरभ थपलियाल ने मुख्य अतिथि के रूप में हरी झंडी दिखाकर दौड़ की शुरुआत की। उन्होंने कहा,
“इस प्रकार के आयोजनों से समाज को न केवल जागरूकता मिलती है, बल्कि युवा शक्ति के सकारात्मक उपयोग की प्रेरणा भी मिलती है।”
अन्य विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति
इस अवसर पर कई वरिष्ठ समाजसेवियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने भी उपस्थिति दर्ज की, जिनमें शामिल रहे —
पी.सी. तिवारी (चिपको आंदोलनकारी), अभिनव थापर, एस.के. त्यागी, परमजीत कक्कड़ और रवि चोपड़ा।
सभी ने युवाओं की इस पहल को सराहा और उन्हें भविष्य में भी ऐसे प्रयास जारी रखने के लिए प्रेरित किया।
विजेताओं की सूची
पुरुष वर्ग में विजेता रहे:
- सबल कंडारी
- कलम सिंह बिष्ट
- लक्ष्मण लामा
- नितिन भंडारी
महिला वर्ग में विजेता रहीं:
- मीणा कंधारी
- कांति
- अलका
संस्था के प्रमुख योगदानकर्ता
इस आयोजन को सफल बनाने में MAD के निम्नलिखित प्रमुख सदस्यों ने विशेष भूमिका निभाई:
आर्ची बिष्ट, आशीष वर्मा, प्रिंस कंपू, खुशबू नेगी, महक नेगी, यश सिंघल, यश भारती, अर्पित, संचित, दीपांशु, श्रेया बंसल, पार्थ पंत और अंबिका।
निष्कर्ष
‘मैडथॉन’ न केवल एक दौड़ थी, बल्कि यह एक चेतावनी थी — यदि अब भी नहीं जागे, तो कल बहुत देर हो जाएगी। इस पहल ने साबित कर दिया कि देश का युवा न केवल परिवर्तन चाहता है, बल्कि उसे अपने हाथों से संभव भी बना सकता है।







