देहरादून। राजधानी देहरादून में पेड़ों के अंधाधुंध कटान के खिलाफ तमाम संगठन और पर्यावरण प्रेमी मुखर होते रहे हैं। पर्यावरण प्रेमियों के इस विरोध के चलते कई बार सरकार को बैक फुट पर भी आना पड़ा है। इस बार ऋषिकेश-भानियावाला मार्ग पर प्रस्तावित 3000 से ज्यादा पेड़ों के कटान का मामला पर्यावरण प्रेमियों के गुस्से की वजह बना है। जिसको लेकर हाईकोर्ट की रोक के बावजूद पर्यावरण प्रेमी विरोध के जरिए मिलकर बड़ा संदेश देने की कोशिश करेंगे।
हाईकोर्ट ने लगाई रोक। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में प्रस्तावित 3000 से ज्यादा पेड़ों के कटान पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। मामला ऋषिकेश भानियावाला मार्ग के चौड़ीकरण का है। जिसके लिए इन पेड़ों को काटे जाने का प्लान है। मामले में एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए फिलहाल योजना के तहत इन पेड़ों को काटे जाने पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।
मुखर होंगे तमाम सामाजिक संगठन। नैनीताल हाईकोर्ट ने जहां एक तरफ इस क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण के लिए पेड़ों के कटान को फिलहाल रोकने के आदेश दिए हैं। दूसरी तरफ तमाम पर्यावरण प्रेमी पेड़ों के कटान के लिहाज से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र 7 मोड पर इकट्ठा होने जा रहे हैं। देहरादून समेत आसपास के क्षेत्र से भी पर्यावरण से जुड़े तमाम संगठन सात मोड पर पहुंचेंगे और सड़क चौड़ीकरण की इस योजना का विरोध भी करेंगे।
पर्यावरण को बचाने की मुहिम। पर्यावरण बचाओ आंदोलन से जुड़ने के लिए पर्यावरण प्रेमी और विभिन्न संगठन लोगों को भी इस आंदोलन से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। सोशल प्लेटफॉर्म पर भी पर्यावरण को बचाने के लिए इस मुहिम में शामिल होने की गुजारिश की जा रही है। 16 मार्च यानि आज सात मोड़ क्षेत्र में सभी लोग इकट्ठा होंगे और “पेड़ नहीं तो हम नहीं, समेत “ऐसा विकास हमें नहीं चाहिए” जैसे नारों के साथ विरोध करते हुए नजर आएंगे। तमाम संगठन और बुद्धिजीवी रविवार यानि आज इस योजना का विरोध करने वाले हैं। सभी का प्रयास यह है कि भविष्य में भी यहां पर हजारों पेड़ों को काटने के प्रयास सफल न हो सके। सरकार को भी इस बात का इल्म हो कि आम जनता ऐसे विकास के लिए तैयार नहीं है, जिसके कारण हजारों पेड़ों की बलि देनी पड़े। – जगमोहन मेहंदीरता, पर्यावरण प्रेमी और समाजसेवी
सरकार करना चाहती है सड़क चौड़ीकरण। ऋषिकेश भानियावाला क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण से जुड़ा यह प्रोजेक्ट नेशनल हाईवे द्वारा आगे बढ़ाया जा रहा है और इसके लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से सैद्धांतिक मंजूरी भी ली जा चुकी है। जाहिर है कि सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। यानी सरकार भी इस क्षेत्र में सड़क चौड़ीकरण के काम को आगे बढ़ना चाहती है, ताकि ट्रैफिक का दबाव इस क्षेत्र में ना रहे।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से मिली सैद्धांतिक मंजूरी। अभी इस योजना के लिए सैद्धांतिक सहमति ही मिली है और पेड़ काटने से पहले केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से स्टेज 2 यानी अंतिम मंजूरी मिलना बाकी है। सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद वन विभाग जिन पेड़ों को काटेगा, उनका छपान यानी उन्हें चिन्हित करने का काम करती है। जाहिर है कि वन विभाग ने काम शुरू किया तो लोगों को भी इस पूरी योजना की जानकारी हो गई। फिर क्या तमाम पर्यावरण प्रेमी और संगठन इसके विरोध में आ गए हैं और उन्होंने सड़क चौड़ीकरण के कारण पेड़ों को काटे जाने का विरोध शुरू कर दिया है।
क्षेत्र एलिफेंट कॉरिडोर। जिस क्षेत्र में इन पेड़ों को काटा जाना है, वह एलिफेंट कॉरिडोर है और यहां पर अक्सर हाथी सड़क पार कर जंगल में भ्रमण करते हैं। सड़क चौड़ीकरण के कारण पेड़ों को काटे जाने से एलिफेंट कॉरिडोर भी प्रभावित होगा, ऐसा माना जा रहा है।