चमोली जनपद में भी अब घायल वन्यजीवों का ट्रीटमेंट हो सकेगा। इसके लिए जल्द ही जनपद में ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर स्थापित किया जाएगा। केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग ने इसकी कवायद भी शुरू कर दी है। यहां घायल वन्यजीवों के उपचार के लिए अलग से डॉक्टर तैनात होंगे और एक्सरे मशीन से लेकर अन्य आधुनिक उपकरणों से जिला अस्पताल जैसी सुविधाएं मिलेंगी।सीमांत चमोली जनपद में केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य 97 हजार हेक्टेयर में फैला हुआ है। यहां भालू, गुलदार, घुरड़, काकड़, सांभर, हिरन, काली बिल्ली जैसे वन्यजीव विचरण करते रहते हैं। कई बार वन्यजीव आबादी क्षेत्र में पहुंच जाते हैं। जिससे वे तार या रस्सी पर फंसकर चोटिल और घायल हो जाते हैं।
प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद इस पर काम शुरू होगा
वन्यजीवों के घायल हाेने पर उन्हें इलाज के लिए रेस्क्यू सेंटर चिड़ियापुर (हरिद्वार) और रानीबाग (हल्द्वानी) ले जाया जाता है। जनपद से हरिद्वार रेस्क्यू सेंटर तक ले जाने में 200 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करनी पड़ती है।जिसे देखते हुए केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग ने अब जनपद में नंदप्रयाग-देवखाल मोटर मार्ग के समीप कंडेरी रिजर्व वन क्षेत्र में ट्रांंजिट ट्रीटमेंट सेंटर स्थापित करने की योजना बनाई है। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि भूमि चयन प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही इस प्रस्ताव को वन्यजीव संस्थान को भेजा जाएगा। प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद इस पर काम शुरू होगा।
वन विभाग करेगा वन्यजीव सेफ्टी ऑडिट
केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग जनपद में वन्यजीव सेफ्टी ऑडिट करवाएगा। बीते दिनों गोपेश्वर के समीप नमामि गंगे के सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में लगे ट्रांसफार्मर की चपेट में आने से भालू और उसके बच्चे की करंट से मौत के बाद वन विभाग ने वन्यजीव सेफ्टी ऑडिट करने का निर्णय लिया है।वन विभाग की टीम वन्यजीवों के प्राकृतिक रास्तों का निरीक्षण कर उनमें यदि सुधार की जरूरत होगी तो उसका सुधारीकरण कार्य करेगी। केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग के डीएफओ तरुण एस ने बताया कि वन प्रभाग की ओर से चमोली और रुद्रप्रयाग जनपद में सेंचुरी एरिया में वन्यजीव सेफ्टी ऑडिट करवाएगी।