Sunday, December 21, 2025
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परिजनों ने किया हंगामा- परिजनों ने लगाया ये गंभीर आरोप पुलिस अभिरक्षा में वारंटी की मौत

संतकबीरनगर जनपद के महुली थानाक्षेत्र के नगुआ गांव में पुलिस अभिरक्षा में सुबह 9 बजे के करीब एक वारंटी की मौत हो गयी। इस घटना को लेकर लोगों में आक्रोश है। परिजन इस मामले को लेकर घर से शव उठाने नहीं दे रहे थे। इस बात की जानकारी होने के बाद मौके पर दो थानों की पुलिस बुला ली गयी थी। वहीं गांव में पुलिस विभाग के अधिकारी भी पहुंच गए थे। परिजन मौत का कारण पुलिस को मान रहे है। महुली थाना क्षेत्र के नगुआ हरिजन बस्ती निवासी राम किशुन पुत्र बुझई उम्र 65 बर्ष गांव के एक मारपीट मामले में वर्ष 2011 में क्रॉस केस में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। इसी मामले में खलीलाबाद न्यायालय द्वारा राम किशुन के अलावा गांव के ही एक अन्य व्यक्ति मतई के खिलाफ वारंट जारी हुआ था।परिजनों के अनुसार मंगलवार को पुलिस चौकी शनिचरा बाबू के तैनात बाइक से तीन सिपाही और एक एसआई पहुंचे। वगैर कुछ बोले धड़ाधड़ घर में घुस गए। परिजनों के आरोप है कि धमकी घुड़की देते हुए बाइक पर राम किशुन और गांव के एक अन्य व्यक्ति मतई को करीब आठ बजे पुलिस चौकी शनिचरा बाबू लेकर पहुंचे।

थोड़ी देर बाद अचानक वारंटी राम किशुन पुत्र बुझई की तबीयत सन्दिग्ध परिस्थियों में खराब हो गई। आनन फानन में पुलिस के जवान चौराहे पर स्थित एक निजी चिकित्सक के पास लेकर गए। चिकित्सक ने राम किशुन की मौत होने की पुष्टि कर दिया। सूचना पर परिजन और ग्रामीण पहुंच गए। शव को घर लेकर चले आये। मृतक की बेटी साधना और पत्नी चंद्रावती देवी पुलिस ज्यादती के चलते मौत होने का आरोप लगाया जा रहा है। सूचना पर थानाध्यक्ष रजनीश राय मय फोर्स पहुंचे। शव का पोस्टमार्टम कराने की तैयरी में जुट गए। परिजन न्याय मिलने के बाद ही आगे प्रक्रिया कराई जाने की जिद्द पर अड़ गए। ग्रामीणों का कहना था कि मृतक के चार पुत्र दिल्ली में है। उनके आने के बाद ही शव को उठाने दिया जाएगा। हंगामा होने की सूचना पर मौके पर एसपी संदीप कुमार मीणा भी पहुंच गए थे। उन्होंने परिजनों को समझाया बुझाया।

इस मामले को लेकर आया था वारंट
बताया जाता है कि वर्ष 2011 में रामकिशुन ने एससी – एसी के तहत गांव के किसी व्यक्ति पर केस दर्ज कराया था। इसके बाद इस मामले में दूसरे पक्ष से भी क्रास केस दर्ज करा दिया गया था। मामला अदालत में चला, इसी दौरान दोनों पक्षों ने एक दूसरे से समझौता कर लिया था। समझौते के बाद इन लोगों ने कोर्ट में इन लोगो ने कोई कागज जमा नहीं किया। मामला चलता रहा और बाद में इसमें कोर्ट से वारंट हो गया था।

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