हल्द्वानी। गौलापार की टमाटर की पहचान पूरे देश-विदेश में की जाती है। यहां के टमाटर की डिमांड उत्तराखंड ही नहीं बल्कि देश की कई बड़ी मंडियों में होती है। यहां के टमाटर कभी पाकिस्तान तक भेजे जाते थे। लेकिन पिछले कुछ सालों से यहां के टमाटर की डिमांड काफी कम हो गई थी, जिसके चलते किसानों ने टमाटर की खेती करना कम कर दिया था।लेकिन फिर से किसानों ने अब टमाटर को खेती करना शुरू कर दिया है, जिसके चलते इस बार टमाटर की अच्छी पैदावार हुई है। टमाटर की अच्छी पैदावार के साथ-साथ किसानों को मार्केट में अच्छे दाम भी मिल रहे हैं। जिसके चलते किसानों के चेहरे खिले हुए हैं। गौलापार क्षेत्र में इन दिनों काफी टमाटर की पैदावार हुई है. किसानों ने कहा कि पिछले चार सालों से टमाटर की खेती में काफी गिरावट आई थी। लेकिन इस बार पैदावार में थोड़ी वृद्धि हुई है.किसानों की मानें तो मंडी में ₹20 से लेकर 30 रुपए की प्रति किलो कीमत से टमाटर बिक रहा है, जिसके चलते उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। इस बार मौसम ने भी भरपूर साथ दिया है, जिसके चलते टमाटर की अच्छी पैदावार हुई है. किसानों का कहना है कि पिछले तीन-चार सालों से किसानों ने टमाटर की खेती करना कम कर दिया था।
जिसका मुख्य कारण उचित रेट नहीं मिलना था। खेती में अधिक लागत और टमाटर की फसल खराब होना था। किसान अब फिर से टमाटर की खेती की ओर बढ़ रहे हैं। जिसका नतीजा है कि इस बार टमाटर की पैदावार अच्छी हुई है और बाजारों में भी अच्छे दाम मिल रहे हैं। यहां के टमाटर हल्द्वानी मंडी से दिल्ली के आजादपुर मंडी में पहुंचता है। आजादपुर मंडी से पूरे देश की अलग-अलग मंडियों तक हल्द्वानी के टमाटर की सप्लाई होती है। किसान नरेंद्र मेहरा ने बताया कि पिछले 20 सालों से यहां के टमाटर की पहचान देश की मंडियों के साथ-साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश और अरब कंट्री में भी खूब हुआ करती थी। लेकिन पिछले चार-पांच सालों से टमाटर की पैदावार में गिरावट के चलते यहां के किसानों ने टमाटर की खेती करना कम कर दिया था। अब यहां के किसानों ने एक बार फिर से टमाटर की खेती करना शुरू कर दिया है. यहां के टमाटर की खास बात यह है कि पहाड़ के नेचुरल वातावरण में होता है. जिसके चलते टमाटर के स्वाद दूसरे राज्यों के टमाटर की तुलना में बेहतर होता है। यही कारण है कि गौलापार की टमाटर की पहचान पूरे देश में की जाती है।







