Sunday, September 21, 2025
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बोर्ड की परीक्षा देकर लौट रही थी छात्रा के साथ दुष्कर्म की कोशिश मामले में पांच साल की कैद

नैनीताल जिला एवं सत्र न्यायाधीश और विशेष न्यायाधीश एससी-एसटी एक्ट सुबीर कुमार की न्यायालय ने दुष्कर्म की कोशिश के आरोपी धारी निवासी युवक को पांच वर्ष के कारावास व 11 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सुशील कुमार शर्मा की ओर से अभियोजन तथ्यों को साबित करने के लिए न्यायालय में दस गवाहों को पेश किया गया। इसमें पीड़िता की दोस्त, दोस्त के परिजन और अन्य गवाहों के पक्षद्रोही होने के बावजूद कोर्ट ने पीड़िता के बयान और सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों के आधार पर दोषी को सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष के मुताबिक 24 जून 2020 को पीड़िता बोर्ड की परीक्षा देकर विद्यालय से पांच किलोमीटर दूर अपने घर की ओर दोस्त के साथ पैदल लौट रही थी। इसी दौरान आरोपी सुरेंद्र बिष्ट निवासी धारी जिला नैनीताल ने दोनों पीड़िताओं को रास्ते में रोका और छेड़खानी की।

विरोध करने पर आरोपी ने पीड़िता के परिजनों को देख लेने की धमकी दी और भाग गया। पीड़िताओं के परिजनों की तहरीर पर आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 354, 504 समेत एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। जिला न्यायालय में हुई सुनवाई के बाद जिला जज ने पीड़िता की लज्जा भंग करने के उद्देश्य से आपराधिक बल का प्रयोग करने के आरोप में दोषी सुरेंद्र को पांच वर्ष के कठोर कारावास एवं दस हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड जमा न करने पर दो माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। न्यायाधीश ने इस धनराशि में से सात हजार रुपये पीड़िता को बतौर क्षतिपूर्ति अदा करने को कहा। इसके अलावा धारा 504 में एक माह का कठोर कारावास एवं एक हजार अर्थदंड की सजा सुनाई। इसे अदा न करने पर 15 दिन का अतिरिक्त कारावास होगा।

कोर्ट ने यह कहा:-
-प्रायः देखने में आया है कि स्कूल जाने वाली छात्राओं के साथ कई लड़के शरारत करते हैं। इस कारण छात्राओं को न केवल स्कूल जाने में परेशान होती है, बल्कि उनकी पढ़ाई भी छूट जाती है। जिला जज सुबीर सुमार ने सर्वोच्च न्यायालय के फूल सिंह बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2022), इमरान खान बनाम एनसीटी दिल्ली (2011), छोटे लाल बनाम उत्तर प्रदेश (2011) में यौन उत्पीड़न के मामलों में पीड़िता के बयान की किसी अन्य स्वतंत्र साक्षी के बयान के पुष्टि होना आवश्यक न होने और पीड़िता के बयान को सबसे ऊपर मानते हुए दोषी को सजा सुनाई।

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