Sunday, September 21, 2025
Google search engine
Homeउत्तराखण्डजनरल गुरमीत सिंह- नशा मुक्ति अभियान को आगे बढ़ाएंगे राज्यपाल पद पर...

जनरल गुरमीत सिंह- नशा मुक्ति अभियान को आगे बढ़ाएंगे राज्यपाल पद पर तीन साल पूरे होने पर बोले

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ड्रग्स के बढ़ते खतरे को लेकर बेहद चिंतित हैं। वह इस खतरे के खिलाफ निर्णायक जंग छेड़ने के पक्ष में हैं। उन्होंने इसके लिए पहल करने का फैसला किया है। जनभागीदारी से वह निर्णायक जंग को मुकाम तक पहुंचाने की उनकी चाहत है।अब नशा मुक्त अभियान को और प्रभावी ढंग से आगे बढ़ाया जाएगा। 15 सितंबर को राज्यपाल पद पर तीन साल का कार्यकाल पूरा करने जा रहे राज्यपाल के पास एक शानदार अनुभव है। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने राजभवन से जो नई पहल की हैं। खासतौर पर उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उनकी पहल अनूठी मानी गई।इन कार्यों में विभिन्न संस्थाओं के मिले सहयोग से वह बेहद उत्साहित और प्रसन्न हैं, इसलिए उन्होंने राज्य के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक विकास के लिए भावी एजेंडा तय किया है। शुक्रवार को राजभवन में मीडियाकर्मियों से बातचीत में उन्होंने इसे साझा किया। कहा, उत्तराखंड को नशामुक्त बनाने के लिए जनजागरूकता और जनसहभागिता जरूरी है और इसके लिए राजभवन प्रभावी ढंग से कार्य करेगा।15 सितंबर 2021 को राजभवन की कमान संभालने के बाद राज्यपाल ने पूरे प्रदेश का दौरा किया। खासतौर पर वह सीमांत जिले चमोली, पिथौरागढ़ की धारचूला, नबिढांग, ज्योलीकांग, मलारी आदि में बनी सेना की अग्रिम चौकियों तक गए और वहां प्रवास किया। 51 में 18 वाइब्रेंट गांवों का भी दौरा कर चुके हैं।

महिलाएं और बेटियां हैं राज्य की ताकत: राज्यपाल
राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) राज्य की महिलाओं और बेटियों को उत्तराखंड की सबसे बड़ी ताकत मानते हैं। स्वयं सहायता समूहों से तैयार हो रहे उत्पादों की बिक्री के लिए वह पैकेजिंग और ब्रांडिंग पर जोर देना चाहते हैं। उनका मानना है कि ये उत्पाद शानदार हैं और देश-विदेश में इन्हें पसंद भी किया जा रहा है। ये उत्पाद वहां तक कैसे पहुंचे, इसके लिए काम किया जाएगा। संस्कृत के प्रति राज्यपाल का विशेष लगाव है। वह इसे अंतर्मन की भाषा मानते हैं। संस्कृत को सुगम और जनप्रिय बनाने के लिए वह इसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जोड़े जाने के पक्षधर हैं।संस्कृत और इसके सही उच्चारण को सीखने के लिए एआई को वह एक प्रभावी और सरल माध्यम मानते हैं। राज्य के पर्वतीय जिलों से हो रहे पलायन पर भी राज्यपाल की नजर हैं। वह कहते हैं कि पलायन की वजह से खाली हो गए गांवों को घोस्ट विलेज पुकारा जाता है, जो सुनने में पीड़ादायक है। चाहते हैं कि सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा सरीखी बुनियादी सुविधाओं के साथ वहां पर्यटन और आजीविका आधारित योजनाओं के जरिये इन्हें होस्ट विलेज में बदला जा सकता है।

तीन साल में राजभवन से हुईं ये पहल
राजभवन परिसर में 200 किलोलीटर पानी का संरक्षण और बचत। पूरे प्रदेश में जल संरक्षण के प्रति आमजन को प्रेरित करने का संदेश दिया।
कुलपतियों की नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए साक्षात्कार की वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू कराई, दूसरे राज्यों के लिए मिसाल बनीं।
राज्य के विकास में योगदान देने के लिए सभी विश्वविद्यालयों में वन यूनिवर्सिटी वन रिसर्च शुरू कराया।
कॉलेज एफिलिएशन पोर्टल के माध्यम से संबद्धता प्रक्रिया को पारदर्शी और सुगम बनाया।
यूनिवर्सिटी कनेक्ट उत्तराखंड एप और डैशबोर्ड एप और डैशबोर्ड बनाया गया।
यूनिसंगम एप के माध्यम से निजी विश्वविद्यालयों की उपलब्धियों, शोध और कार्यक्रमों को साझा करने के लिए एप बनाया।
देहरादून राजभवन का वर्चुअल टूर विकसित किया।
इन्वेंट्री मैनेजमेंट सिस्टम देहरादून और नैनीताल राजभवन में बार कोड आधारित इन्वेंट्री सिस्टम लागू किया।
राजभवन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक के प्रयोग से निर्मित राजभवन मैत्री चैटबॉट की शुरुआत की है।
तीर्थयात्रियों की रियल-टाइम मॉनिटरिंग के लिए डैशबोर्ड बनाया।
राज्य में 80 से अधिक केन्द्रीय संस्थान हैं सभी के प्रमुखों के साथ राज्यपाल बैठक कर चुके हैं।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -
Google search engine






Most Popular

Recent Comments