Monday, December 15, 2025
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गोरखपुर एम्स नहीं दर्ज होता कोई रिकॉर्ड- इमरजेंसी तक पहुंचती है सीधे बिना रोक-टोक निजी एंबुलेंस की एंट्री

एम्स परिसर में निजी एंबुलेंस की आवाजाही धड़ल्ले से जारी है। शुक्रवार को भी परिसर में कई निजी एंबलुंस खड़ी नजर आईं। मेन गेट पर गाड़ियों का कोई रिकॉर्ड नहीं दर्ज होता, इस वजह से निजी एंबुलेंस चालक भी गाड़ी लेकर परिसर मे प्रवेश कर जाते हैं और फिर मरीज लेकर निकल जाते हैं। शुक्रवार को दोपहर डेढ़ बजे के करीब एम्स के गेट नंबर दो से एक प्राइवेट एंबुलेंस दाखिल हुई। इमरजेंसी के पास आकर पांच मिनट तक ड्राइवर रुका। इसके बाद एक मरीज और उसके साथ कुछ तीमारदार आए और एंबुलेंस में बैठकर निकल गए। गेट से प्रवेश करते और बाहर निकलते समय किसी भी गार्ड ने न तो रोका और न ही कोई पूछताछ की। इसके बाद भी निजी एंबुलेंस की आवाजाही दिखी।

बृहस्पतिवार की शाम पुलिस की कार्रवाई के बाद शुक्रवार को परिसर में अस्पतालों और मेडिकल स्टोर के एजेंट नहीं नजर आए। कुछ एजेंट गेट नंबर दो के बाहर से ही मरीज और तीमारदारों को सस्ती दवा दिलवाने का ऑफर देते दिखे।एम्स में मरीज माफिया का नेटवर्क काफी सक्रिय है। निजी अस्पतालों के एजेंट भी सक्रिय हैं। ये तीमारदारों को बेहतर इलाज का झांसा देते हैं और निजी एंबुलेंस में लेकर चले जाते हैं। इन्हें एक मरीज पर अच्छा खासा कमीशन मिलता है। सूत्रों ने बताया कि ये तीमारदारों से यह भी कहते हैं कि एम्स में अच्छा इलाज नहीं मिलेगा। यहां, अभी इतनी सुविधाएं नहीं हैं। कुछ कर्मचारी भी इसमें उनका साथ देते हैं। वह भी तीमारदारों को किनारे बुलाकर मरीज को निजी अस्पताल ले जाने की सलाह देते हैं।

बुजुर्ग महिला को लेकर जाने की थी तैयारी
एम्स में बृहस्पतिवार की शाम 7:30 बजे के करीब पुलिस ने इमरजेंसी के पास एक प्राइवेट एंबुलेंस को पकड़ा था। पुलिस को देखकर चालक ने भागने की कोशिश की लेकिन उसे पकड़ लिया गया। एम्स पुलिस दोनों को थाने ले गई। वहां एंबुलेंस को सीज कर दिया गया था। बताया जा रहा है कि यह एंबुलेंस इमरजेंसी से एक वृद्ध महिला को ले जाने आई थी।

कर्मचारी ने बुलाई थी निजी एंबुलेंस
बीते सितंबर में गश्त के दौरान एम्स पुलिस ने इमरजेंसी के पास से एक एंबुलेंस चालक को पकड़ा था। इमरजेंसी के पास खड़ी एक एंबुलेंस के चालक के पास पुलिसकर्मी पहुंचे और आने का कारण पूछा। चालक ने पहले बहानेबाजी की लेकिन सख्ती पर रोगी के लिए आने की बात कबूल की। पता चला कि एक कर्मचारी ने उसे बुलाया था। पुलिस ने एंबुलेंस सीज कर दी थी।

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