हल्द्वानी शहर दमुवाढूंगा स्थित सरकारी जमीन स्टांप पेपरों में फर्जी तरीके से मलबे के नाम पर बेची जाती है। यह सिलसिला पिछले कई वर्षों से चल रहा है। सोमवार को एक मामला पकड़ में आया और पूछताछ शुरू हुई तो ऐसे ही सात-आठ मामले प्रशासन के संज्ञान में आ गए। इस पर प्रशासन ने क्षेत्र में पिछले वर्षों के दौरान हुई जमीन की खरीद-फरोख्त की जांच शुरू कर दी है। दमुवाढूंगा का अधिकतर क्षेत्र वन भूमि है। नियमानुसार वन भूमि पर किसी भी तरह का निर्माण कार्य नहीं हो सकता है, लेकिन पिछले वर्षों के दौरान इस पूरे क्षेत्र में एक के बाद एक निर्माण कार्य हुए हैं। अब यहां अधिकतर भूमि पर कंक्रीट के जंगल खड़े हो गए हैं। औने-पौने दामों पर जमीन खरीद अवैध रूप से निर्माण करा लिए गए। अधिकतर जमीन स्टांप पेपरों पर फर्जी तरीके से एग्रीमेंट कर बेची गई है।
दमुवाढूंगा क्षेत्र में नाले के इर्द-गिर्द की भूमि पर सिंचाई विभाग का स्वामित्व है। क्षेत्र में अधिकतर जमीन के बिकने के बाद लोगों की नजर रकसिया नाले की सरकारी जमीन पर गढ़ गई। जिसे जहां बन पड़ा, उसने वहां नाले की सरकारी जमीन पर कब्जा कर लिया। किसी ने अपने लिए इस जमीन पर कमरे खड़े कर दिए तो किसी ने स्टांप पेपर पर जमीन को मलबा दिखाकर बेच दिया। बताया जाता है कि अब भी क्षेत्र के कई लोगों ने नाले की सरकारी जमीन पर कब्जा किया है जिसे वह स्टांप पेपरों में लिखा पढ़ी कर मलबे के नाम पर बेच रहे हैं।
नहीं मिल सकती है भवन निर्माण की अनुमति
प्राधिकरण के अधिकारियों के मुताबिक दमुवाढूंगा क्षेत्र में अधिकतर भूमि सरकारी है। ऐसे में यहां घरेलू और व्यवसायिक भवन निर्माण की न तो अनुमति दी जा सकती है और न ही भवन मानचित्र स्वीकृत हो सकता है। अधिकारियों के मुताबिक इस संबंध में शिकायत मिलने पर पूर्व में कई भवनों का ध्वस्तीकरण भी कराया जा चुका है।
60 से घटकर छह फुट रह गया नाला
पिछले वर्षों के दौरान दमुवाढूंगा क्षेत्र में रकसिया नाले की चौड़ाई अधिकतर स्थानों पर 50 से 60 फुट तक थी लेकिन जैसे-जैसे नाले की सरकारी जमीन पर कब्जा होता गया तो अतिक्रमण बढ़ता गया। अधिकारियों की मानें तो जहां-जहां अतिक्रमण हुआ है, वहां कई जगह नाले की चौड़ाई अब छह फुट रह गई है। दमुवाढूंगा क्षेत्र में स्टांप पेपर पर लिखा पढ़ी कर सरकारी जमीन बेचने के सात-आठ मामले संज्ञान में आ चुके हैं। इन लोगों को चिह्नित भी कर लिया गया है। कई लोगों ने नाले पर अतिक्रमण किया है। 60 फुट का नाला कई जगह छह फुट का ही रह गया है। सरकारी जमीन को स्टांप पेपर पर बेचने की जांच की जा रही है। ऐसे सभी लोगों को चिह्नित किया जा रहा है। जांच पूरी होने के बाद सरकारी जमीन को खुर्द-बुर्द करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। – राहुल शाह, एसडीएम, हल्द्वानी