लखनऊ। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एलडीए की एक कार्रवाई पर सख्त रुख अपनाते हुए अंतरिम रोक लगा दी है। मामला गोमतीनगर विस्तार स्थित एक प्लॉट से जुड़ा है, जहां एलडीए ने 2009 में बैनामा किया, 2016 में नक्शा पास किया, लेकिन 2025 में उसी प्लॉट पर बने मकान पर बुलडोजर चला दिया। कोर्ट ने इसे गंभीर मानते हुए विस्तृत विचार की आवश्यकता जताई है। न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा व न्यायमूर्ति अमिताभ कुमार राय की खंडपीठ ने दीपा मिश्रा की याचिका पर यह आदेश दिया। याची की ओर से कहा गया कि 2005 में एलडीए ने सेक्टर-4, गोमतीनगर विस्तार स्थित प्लॉट संख्या 4/542 प्रमोद कुमार वर्मा को 60 वर्ष की लीज पर आवंटित किया। 2009 में उसने इसी भूखंड का फ्रीहोल्ड विक्रय विलेख प्रमोद कुमार वर्मा के पक्ष में निष्पादित किया, मगर 2014 में गुपचुप तरीके से सेक्टर-4 का लेआउट प्लान संशोधित कर उक्त भूखंड को योजना से हटा दिया, लेकिन मूल आवंटी को कोई सूचना नहीं दी।
2016 में एलडीए ने प्रमोद की ओर से प्रस्तुत भवन मानचित्र को स्वीकृति दी, जिसके बाद उन्होंने बैंक ऋण लेकर आवास निर्माण कराया। जून 2025 में बैंक से संपत्ति खरीदने वाली नई मालिक एवं याची दीपा मिश्रा को कब्जा मिला, मगर उसी दिन एलडीए ने भवन ध्वस्त कर दिया।कोर्ट में याची की ओर से कहा गया कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई एक अन्य प्लॉट मालिक राम जियावन के प्रत्यावेदन पर की गई, जो अपने प्लॉट पर कब्जा पाने के लिए लगातार प्रयासरत थे। एलडीए ने बिना किसी पूर्व सूचना या सुनवाई का अवसर दिए मकान गिरा दिया। इस पर हाईकोर्ट ने एलडीए वीसी के ध्वस्तीकरण आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी।







