Sunday, September 21, 2025
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हाईकोर्ट ने सत्र अदालत का आदेश बरकरार रखा ब्रिटिश नागरिकों की हत्या के मामले में छह आरोपी बरी

गुजरात उच्च न्यायालय ने सत्र अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए साल 2002 के दंगों के दौरान तीन ब्रिटिश नागरिकों की हत्या के मामले में छह आरोपियों को बरी कर दिया। जस्टिस एवाई कोगजे और जस्टिस समीर जे दवे की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया। यह आदेश 6 मार्च को दिया गया था और अब यह उपलब्ध हुआ है। उच्च न्यायालय ने गवाहों और जांच अधिकारी की गवाही पर विचार किया और कहा कि उनके पास सत्र अदालत के फैसले में दखल देने का कोई आधार नहीं है।

उच्च न्यायालय ने इस आधार पर किया आरोपियों को बरी
इससे पहले 27 फरवरी 2015 को साबरकांठा की सत्र अदालत ने आरोपियों को हत्या के मामले में बरी करने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर की गई। अब उच्च न्यायालय ने भी आरोपियों को बरी करने का आदेश दिया है। सत्र अदालत ने अपने आदेश में माना कि एफआईआर रिपोर्ट में आरोपियों के हुलिये को लेकर लंबाई, कपड़े और उम्र को लेकर ही जानकारी दी गई थी। अदालत ने सिर्फ इस आधार पर आरोपियों को दोषी मानने से इनकार कर दिया। अब उच्च न्यायालय ने भी सत्र अदालत के तर्क को सही माना है और कहा कि सिर्फ इस आधार पर दोषी नहीं माना जा सकता।

क्या है मामला
शिकायत के अनुसार, इमरान मोहम्मद सलीम दाऊद ने बताया कि 28 फरवरी 2002 को वह और उसके दो चाचा सईद शफीक दाऊद, शकील अब्दुल दाऊद और एक अन्य मोहम्मद नल्लाभाई अब्दुलभाई असवार, तीनों ब्रिटिश नागरिक थे, आगरा और जयपुर से घूमकर लौट रहे थे। उनके साथ ड्राइवर यूसुफ भी था। शाम करीब छह बजे लोगों की एक भीड़ ने उनके वाहन पर हमला किया और उनके वाहन को आग लगा दी। हमले में ड्राइवर और असवार की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि सईद शफीक और शकील अब्दुल की बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2003 में गुजरात सरकार से एक विशेष जांच टीम बनाकर गुजरात दंगों से जुड़े नौ मामलों की जांच सौंपने का आदेश दिया था। इनमें ब्रिटिश नागरिकों की हत्या का भी मामला था। दिसंबर 2008 में एसआईटी ने बयान दर्ज किए और 2009 में सत्र अदालत ने छह आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे।

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